इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि स्कूल में दर्ज आयु ही प्रथम प्रमाण मानी जाएगी।इसके न होने पर निकाय का जन्म प्रमाणपत्र मान्य होगा।दोनों ही न हो तो मेडिकल जांच से तय उम्र मान्य होगी। कोर्ट ने कहा है कि पीड़ित नाबालिग है तो किशोर न्याय कानून के तहत उसको संरक्षण दिया जाना जरूरी है। कोर्ट ने प्रयागराज के खुल्दाबाद बाल संरक्षण गृह में पीड़िता को रखने के बाल कल्याण समिति के आदेश को वैध करार दिया है और मेडिकल जांच रिपोर्ट के आधार पर बालिग होने के नाते अवैध निरूद्धि से मुक्त कराने की मांग में दाखिल बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी है।
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