नोएडा
कोरोना के कहर ने लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत कर दिया है। वहीं, सामाजिक स्तर पर भी कई तरह के बदलाव सामने आए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण बदलाव रजिस्ट्री विभाग में देखने को मिल रहा है। यहां कोरोना के बाद वसीयतनामा कराने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
कोरोना का कहर देखने के बाद लोग जीवन को लेकर इतना असुरक्षित महसूस करने लगे हैं कि वह अपने जीते जी प्रॉपर्टी का बंटवारा करने के लिए वसीयत लिख रहे हैं। उनका मानना है कि जीवन का कुछ भरोसा नहीं है। इसलिए जितना जल्दी प्रॉपर्टी का वसीयतनामा लिख दें उतना ही बेहतर है, जिससे उनके न रहने पर बच्चों के बीच विवाद न हों।
साढ़े चार महीने में 3585 वसीयत
रजिस्ट्री विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 4 महीने में विभाग में वसीयतनामा रजिस्टर्ड कराने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अप्रैल-मई 2021 का कोरोना का कहर देखने के बाद जैसे ही विभाग में कामकाज शुरु हुआ वसीयतनामा रजिस्टर्ड कराने वालों की संख्या में जोरदार इजाफा हुआ है। अप्रैल-मई में रजिस्ट्री विभाग बंद रहा। जून से लेकर अब तक करीब साढ़े चार महीने में विभाग में 3585 लोगों ने वसीयतनामा रजिस्टर्ड कराया है।
2021 में 3185 लोगों ने कराया वसीयतनामा
आंकड़ों की तुलना अगर पिछले वर्षों से करें तो वित्तीय वर्ष 2020-21 में 3185 लोगों ने वसीयतनामा रजिस्टर्ड कराया था। पिछले साल जहां पूरे साल में 3185 लोगों ने वसीयतनामा कराया था। वहीं, इस साल मात्र साढ़े चार महीने में पिछले साल से 400 से ज्यादा लोगों ने वसीयतनामा रजिस्टर्ड कराया है। 2019-20 में पूरे साल में मात्र 1800 लोगों ने और 2018-19 में पूरे साल में मात्र 2100 लोगों ने वसीयतनामा रजिस्टर्ड कराया था।
वैसे तो हमारी सभी डिवीजन में वसीयतनामा रजिस्टर्ड कराने वालों की संख्या बढ़ी है लेकिन नोएडा में ऐसे लोगों का संख्या सबसे ज्यादा है। नोएडा की सभी डिवीजन में लोग काफी संख्या में वसीयतनामा रजिस्टर्ड करा रहे हैं। इसे कोरोना के बाद लोगों की सोच में बदलाव का असर माना जा रहा है।
वीरसेन, सब रजिस्ट्रार
कोरोना ने दिया है लोगों को झटका
दरअसल अप्रैल-मई में इस बार जिस तरह हजारों लोगों की जान चली गई। बुजुर्ग ही नहीं तमाम जवान लोग भी कोरोना की चपेट में आए। ऐसी घटनाओं ने लोगों को बेहद आहत किया है। इसके बाद लोग अपने रोजगार, प्रॉपर्टी, बिजनेस आदि को लेकर नजरिया बदल रहे हैं। रजिस्ट्री विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अब पहले से कम उम्र के लोग भी अपना वसीयतनामा लिख रहे हैं। इस मामले में बुजुर्गों की संख्या तो तेजी से बढ़ी ही है।
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