इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित दो दिवसीय उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन कॉन्क्लेव-2021 के द्वितीय दिवस का शुभारम्भ आज योग गुरु और (वस्तुतः) आध्यात्मिक नेता गुरुदेव श्री श्री रविशंकर एवं केंद्रीय इस्पात तथा ग्रामीण विकास राज्य मंत्री, भारत सरकार श्री फग्गन सिंह कुलस्ते द्वारा किया।
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने कॉन्क्लेव की सराहना की और श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिंदू संस्कृति में किसी भी नए प्रतिष्ठान से पहले बीज बोना और न केवल बीज बोना, उस प्रतिष्ठान की सफलता और समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन को कम करने में भी योगदान देता है। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण और सकारात्मक मानसिकता रखने से भी जलवायु परिवर्तन को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पानी की सफाई न केवल जलवायु और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि देवी लक्ष्मी (धन की देवी) को भी आकर्षित करती है। आध्यात्मिक नेता ने प्लास्टिक को जलाकर खतरनाक उत्सर्जन पर भी विचार-विमर्श किया क्योंकि यह वातावरण में डाइऑक्सिन, फ्यूरान, पारा और पॉलीक्लोरीनेटेड बाइफिनाइल जैसी जहरीली गैसों का उत्सर्जन करता है तथा वनस्पति, और मानव एवं पशु स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन शमन की दिशा में राज्य सरकार और देश के नागरिकों के प्रयासों की सराहना करते हुए दर्शकों से इस कारण के प्रति सामूहिक और अधिक आक्रामक दृष्टिकोण रखने की अपील की।
श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि चाहे वृक्षारोपण हो या नदियों की सफाई उ0प्र0 राज्य हाल के वर्षों में जादुई रूप से बदल गया है जो बदले में जलवायु परिवर्तन शमन की दिशा में बहुत सार्थक साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि आजकल नागरिकों में जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता कई गुना बढ़ी है और सामूहिक प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने इस दो दिवसीय ज्ञानवर्धक सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञों द्वारा की गई सिफारिशों का एक विस्तृत सेट प्रस्तुत करने का अनुरोध किया।
श्री मनोज सिंह, आईएएस, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, पूरी दुनिया ने जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों को देखा है जिसने वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र, स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति और मानव स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए स्थानीय स्तर पर इसके प्रभावों को कम करने और गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी द्वारा दिए गए निर्देशों को आत्मसात करने के प्रयास शुरू करना बहुत महत्वपूर्ण है।
विशेषज्ञों, पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, सरकारी प्रतिनिधियों और विद्वानों के विचार-विमर्श को कवर करते हुए कुल 11 शैक्षिक तकनीकी सत्र दो दिनों में सम्पन्न हुए। जलवायु कार्रवाई में पर्यावरणीय कानूनी ढांचे की भूमिका; उत्तर प्रदेश में जलवायु विज्ञान-डिकोडिंग 1-5 डिग्री सेंटीग्रेड और जलवायु संवेदनशीलता; अनुकूलन, शमन और हरित ऊर्जा के लिए जलवायु परिवर्तन-नीतियां और शासन; विकास योजनाओं/योजना में सी.सी.ए. और डी.पी.आर. का एकीकरण (ग्राम पंचायत विकास योजना/स्थानीय योजना पर ध्यान दें); जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के लिए प्रकृति आधारित समाधान; सस्टेनेबल लाइफस्टाइल और कार्बन फुटप्रिंट, जलवायु न्यूनीकरण के लिए परिपत्र अर्थव्यवस्था, संसाधन दक्षता और स्वच्छ उत्पादन; जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण को संबोधित करने के लिए अनुसंधान, ज्ञान और सूचना की आवश्यकता; वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के बीच सामंजस्य स्थापित करने की चुनौतियां, अवसर और भविष्य की संभावनाएं; वित्त पोषण जलवायु कार्रवाई, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लिए अवसर और चुनौतियां; जलवायु वकालत और जागरूकता आदि में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन श्री मनोज सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष श्री सुनील पाण्डेय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव श्री पवन शर्मा, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, योजना एवं कृषि वानिकी श्री मुकेश कुमार, प्रमुख सचिव, ग्रामीण इंजीनियरिंग सेवा और खेल श्रीमती कल्पना अवस्थी, सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन श्री आशीष तिवारी, इंडो अमेरिकन चौंबर ऑफ चेयरमैन ऑफ कॉमर्स, लखनऊ चौप्टर के अध्यक्ष श्री मुकेश सिंह, अध्यक्ष आर्थर डी लिटिल इंडिया प्रा0 लिमिटेड श्री ब्रजेश सिंह, निदेशक-परिपत्र अर्थ व्यवस्था और जलवायु परिवर्तन, जी0आई0जेड0 इंडिया आशीष चतुर्वेदी मौजूद थे।
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