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UP Election 2022 : हमीरपुर की दो विधानसभा सीटों का क्या है सियासी गणित? ग्राफिक्स के जरिए समझिए यहां की पूरी राजनीति

राजनीतिक तौर पर भी बुंदेलखंड में हमीरपुर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। यहां दो विधानसभा क्षेत्र हैं। दोनों पर ही भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। 2017 में हमीरपुर सदर से युवराज सिंह और राठ विधानसभा सीट से मनीषा अनुरागी विधायक चुनी गईं थीं। हमीरपुर में ही केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का पैतृक गांव है।

2008 से पहले जनपद में तीन सीटें थीं। 2008 में मौदहा विधानसभा सीट यहां से खत्म कर दी गई। इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता आधे हमीरपुर और आधे राठ विधानसभा क्षेत्र में शामिल कर दिए गए। विधानसभा क्षेत्र में सवर्ण, मुस्लिम मतदाताओं के अलावा पिछड़ी जातियों में निषाद, प्रजापति बिरादरियों का मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हमीरपुर सदर विधानसभा से कांग्रेस के सुरेंद्र दत्त बाजपेयी तीन बार विधायक रहे। कांग्रेस से ही प्रताप नारायण द्विवेदी दो बार विधायक रहे। वर्ष 1989 के चुनाव में अशोक चंदेल निर्दलीय विधायक चुने गए। बसपा के शिवचरन प्रजापति 1991, 1996, 2002 व 2015 में हुए उप चुनाव में सपा से जीते।  2017 में अशोक चंदेल भाजपा से जीते। 2019 उपचुनाव में भाजपा से युवराज सिंह ने जीत हासिल की।

इसी तरह राठ विधानसभा सीट पर आजादी के बाद से अब तक ज्यादातर लोधी बिरादरी का ही विधायक चुना गया है। किसी भी दल के लिए यह सीट परंपरागत रूप से एक व्यक्ति के पास नहीं रही है। सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस पार्टियों ने यहां से जीत हासिल की है। 2012 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। तब कांग्रेस के गयादीन अनुरागी ने यहां से चुनाव जीता। 2017 में भाजपा के टिकट पर मनीषा अनुरागी यहां से विधायक बनीं। विधानसभा क्षेत्र से सात बार कांग्रेस, एक बार जनता पार्टी, एक बार भारतीय जन संघ, एक बार जनता दल, तीन बार बसपा, एक बार सपा व एक बार भाजपा का विधायक रहा है।

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