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Chaibasa : सिंहभूम की कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा राज्य सरकार में सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस-राजद सरकार के एक फैसले से नाराज हैं. इतनी ज्यादा नाराज हैं कि उन्होंने यह आरोप भी लगा दिया कि राज्य की सरकार जनप्रतिनिधियों को जनता के कार्यों से दूर रखने की साजिश कर रही है. आइये जानते हैं कि गीता कोड़ा आखिर इतनी नाराज क्यों हैं.
पार्टी फोरम में उठायेंगी मुद्दा
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दरअसल, राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर यह नियम बना दिया है कि राज्य सरकार के मद से संचालित योजनाओं के शिलान्यास अथवा उद्घाटन में सांसद शामिल नहीं हो पायेंगे, वे सिर्फ केंद्र सरकार के पैसे से संचालित होनेवाली योजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन में शामिल होंगे. इससे पहले केंद्र और राज्य की योजनाओं का शिलान्यास अथवा उद्घाटन सांसद और विधायक से संयुक्त रूप से कराये जाने की परंपरा रही है. गीता कोड़ा ने सरकार के इस फैसले को अलगाववादी तथा जनप्रतिनिधियों के अधिकार का हनन करनेवाला बताया है. उन्होंने कहा है कि राज्य में कांग्रेस व जेएमएम की गठबंधन का सरकार है. ऐसे में इस तरह की भेदभाव की राजनीति राज्यहित में नहीं है. गीता कोड़ा ने इसपर कड़ी आपत्ति जताते हुए इस मामले को पार्टी फोरम में उठाने की बात भी कही.
पूर्व की व्यवस्था हो बहाल
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सांसद गीता कोड़ा ने कहा है कि केंद्र की योजना में विधायक शामिल हो सकते हैं, लेकिन राज्य की योजना में सांसद को शामिल होने का अधिकार नहीं दिया गया है. यह सीधे-सीधे जनप्रतिनिधि के अधिकार के हनन का मामला है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस अलगाववादी अधिसूचना पर पुनर्विचार करते हुए पूर्व की व्यवस्था को बहाल रखा जाये. क्योंकि सांसद और विधायक दोनों ही जनता के प्रति जवाबदेह हैं. सरकार का यह कदम एक जनप्रतिनिधि को जनता के कामों से दूर रखने की साजिश है.
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