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BKU split: 36 साल में टुकड़े-टुकड़े होती रही भाकियू, यूपी में ही बने 12 संगठन, यह है बिखराव का सबसे बड़ा कारण

सार
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खाप चौधरियों ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए 17 अक्तूबर 1986 को संगठन की नींव रखी थी, लेकिन पिछले 32 सालों में समय समय पर संगठन में बिखराव और फूट देखने को मिली। पढ़ें ये रिपोर्ट।

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भाकियू के 36 साल के इतिहास में संगठन ने स्वर्णिम दौर देखा तो लगातार बिखराव भी होता रहा। भाकियू की ताकत खाप चौधरियों के बीच मतभेद सामने आते रहे, अलग-अलग मंचों पर खाप चौधरी नजर आए। भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष रहे कर्नल राममहेश भारद्वाज, भानुप्रताप सिंह ने भाकियू से अलग होकर संगठन बनाए। रविवार को लखनऊ में भाकियू अराजनैतिक के अध्यक्ष बने राजेश चौहान भी भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। भाकियू के कई टुकड़े हुए हैं। उत्तर प्रदेश में ही करीब एक दर्जन संगठन भाकियू के नाम पर है।  पंजाब और हरियाणा में भी अलग संगठन बनें।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खाप चौधरियों ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए 17 अक्तूबर 1986 को संगठन की नींव रखी थी। बालियान खाप के चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को अध्यक्ष बनाया गया। शामली के करमूखेड़ी में आंदोलन को कामयाबी मिली तो भाकियू ने भी ऊंचाईयां छू ली। पिछले 36 साल में भाकियू ने स्वर्णिम दौर भी देखा और बिखराव भी हुआ। 

भाकियू को नई ऊंचाईयां देने में शामिल रहे जिले के कई पदाधिकारी अलग-अलग समय पर साथ छोड़कर अलग हो गए। कर्नल राममहेश भारद्वाज, पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र कुतुबपुर, पूर्व जिलाध्यक्ष राजू अहलावत, मीडिया प्रभारी धर्मेद्र मलिक और ठाकुर पूरण सिंह अलग हो गए थे।  

लंबे समय तक भाकियू में रहे गुलाम मोहम्मद जौला ने भी अलग संगठन खड़ा कर लिया था। कभी पंजाब, कभी हरियाणा तो कभी पूर्वांचल के पदाधिकारियों ने अपने संगठन खड़े कर लिए। राष्ट्रीय और प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के बागी हो जाने के कारण पहली बार बड़ा झटका लगा है।

भाकियू के नाम से बने संगठन
भाकियू भानू, भाकियू तोमर, भाकियू अंबावत, भाकियू लोक शक्ति, भाकियू असली और भाकियू स्वराज सहित भाकियू का नाम जोड़कर अन्य संगठन बना गए। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश चौहान ने इस बार भाकियू अराजनैतिक नाम से संगठन खड़ा कर लिया है। 

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विधानसभा चुनाव में बढ़ गई थी कलह
विधानसभा चुनाव से पहले भाकियू नेता राजू अहलावत ने भाजपा का दामन थाम लिया था। किसान राजनीति के जानकारों को तभी से भाकियू में बिखराव का अंदेशा होने लगा था। इस दौरान किसान आंदोलन खत्म हुआ और विधानसभा चुनाव हुए। अंदरूनी कलह बढ़ती गई, जिसके बाद आखिरकार बागी हुए पदाधिकारियों ने नई पटकथा लिख दी।

भाकियू से अलग हुए  राजेश चौहान, धर्मेंद्र मलिक, हरनाम सिंह, दिगंबर सिंह, अनिल तालान, मांगेराम त्यागी को राजू अहलावत का करीबी माना जा रहा है। अहलावत करीब 10 साल तक जिलाध्यक्ष रहे हैं। राजू अहलावत के भाजपा में पहुंचते ही भाकियू का कुनबा बिखर गया। भाजपा नेता राजू अहलावत कहना है कि भाकियू अब संगठन कम राजनीतिक दल ज्यादा नजर आती है। 

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गुटबंदी में बनते रहे किसानों के अलग संगठन
भले ही किसानों के संगठन अराजनैतिक हों, लेकिन इनके अंदर भी पदाधिकारियों के बीच गुटबंदी उभरती रहती है। यह गुटबंदी इस हद तक उभरी कि किसान संगठन में दरार पड़ती रही। पदाधिकारियों ने भाकियू संगठन से टूटकर अलग संगठन बनाए। गुटबंदी के कारण बिजनौर जनपद में कई किसान संगठन चल रहे हैं।

कई साल पहले भाकियू संगठन से नाराज तत्कालीन जिलाध्यक्ष चौधरी राजेंद्र सिंह ने आजाद किसान यूनियन का गठन किया। वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और किसान संगठन चला रहे है। जनपद में भाकियू अंबावता के जिलाध्यक्ष शिवकुमार, भाकियू भानू के जिलाध्यक्ष नरेश कुमार, भाकियू लोकशक्ति के जिलाध्यक्ष वीरसिंह, भाकियू तोमर आदि संगठन जनपद में सक्रिय हैं। भाकियू के पूर्व जिलाध्यक्ष, युवा प्रदेशाध्यक्ष व मंडल अध्यक्ष चौधरी दिगंबर सिंह भी अपने समर्थकों के नए संगठन में शामिल हुए हैं। चौधरी दिगंबर सिंह ने बताया कि जनपद में संगठन, किसानों के हालात को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।  

राजनीतिक दबाव में बनाया गया दूसरा संगठन : टिकैत
मुजफ्फरनगर में भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि विचारधारा में भिन्नता के कारण दूसरे लोग अलग हुए हैं। राजनीतिक दबाव में दूसरा संगठन बनाया गया। भाकियू की ताकत पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। करनाल में 18 मई को कार्यकारिणी की बैठक में अहम फैसले लिए जाएंगे। संगठन से अलग हुए लोगों की सूची भी जारी करेंगे। सरकार आंदोलन नहीं तोड़ सकी, लेकिन संगठन को तोड़ना शुरू कर दिया है।

रविवार को सरकुलर रोड स्थित आवास पर चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों ने कई लोगों को  छोटे-छोटे गांवों से  निकालकर बीकेयू में 30 साल तक बड़े-बड़े पदों पर बैठाया। 13 महीने जो लोग कृषि कानून को खराब बता रहे थे, अब वही अच्छा बताने लगे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा में भी 550 किसान संगठन है। हमारे पदाधिकारी गए हैं, जिन्हें मनाने की कोशिश की गई, लेकिन वह नहीं माने। अंगुली कटती है, दुख होता है। सब एक परिवार का हिस्सा रहे। अब किसान संगठन को खुद चलाएंगे। गांवों से पदाधिकारी निकाले जाएंगे और संगठन पहले से भी मजबूत चलेगा।

यह है दोनों संगठन में फर्क 

भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि हमारा संगठन भाकियू के नाम से पंजीकृत है। दूसरे संगठन के सामने अराजनैतिक लिखा गया है। उनका संगठन अलग है और हमारा अलग है।  

विस्तार

भाकियू के 36 साल के इतिहास में संगठन ने स्वर्णिम दौर देखा तो लगातार बिखराव भी होता रहा। भाकियू की ताकत खाप चौधरियों के बीच मतभेद सामने आते रहे, अलग-अलग मंचों पर खाप चौधरी नजर आए। भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष रहे कर्नल राममहेश भारद्वाज, भानुप्रताप सिंह ने भाकियू से अलग होकर संगठन बनाए। रविवार को लखनऊ में भाकियू अराजनैतिक के अध्यक्ष बने राजेश चौहान भी भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। भाकियू के कई टुकड़े हुए हैं। उत्तर प्रदेश में ही करीब एक दर्जन संगठन भाकियू के नाम पर है।  पंजाब और हरियाणा में भी अलग संगठन बनें।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खाप चौधरियों ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए 17 अक्तूबर 1986 को संगठन की नींव रखी थी। बालियान खाप के चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को अध्यक्ष बनाया गया। शामली के करमूखेड़ी में आंदोलन को कामयाबी मिली तो भाकियू ने भी ऊंचाईयां छू ली। पिछले 36 साल में भाकियू ने स्वर्णिम दौर भी देखा और बिखराव भी हुआ। 

भाकियू को नई ऊंचाईयां देने में शामिल रहे जिले के कई पदाधिकारी अलग-अलग समय पर साथ छोड़कर अलग हो गए। कर्नल राममहेश भारद्वाज, पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र कुतुबपुर, पूर्व जिलाध्यक्ष राजू अहलावत, मीडिया प्रभारी धर्मेद्र मलिक और ठाकुर पूरण सिंह अलग हो गए थे।  

लंबे समय तक भाकियू में रहे गुलाम मोहम्मद जौला ने भी अलग संगठन खड़ा कर लिया था। कभी पंजाब, कभी हरियाणा तो कभी पूर्वांचल के पदाधिकारियों ने अपने संगठन खड़े कर लिए। राष्ट्रीय और प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के बागी हो जाने के कारण पहली बार बड़ा झटका लगा है।

भाकियू के नाम से बने संगठन

भाकियू भानू, भाकियू तोमर, भाकियू अंबावत, भाकियू लोक शक्ति, भाकियू असली और भाकियू स्वराज सहित भाकियू का नाम जोड़कर अन्य संगठन बना गए। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश चौहान ने इस बार भाकियू अराजनैतिक नाम से संगठन खड़ा कर लिया है। 

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