प्रदेश मंत्रिमंडल में गत दिवस शराब नीति में परिवर्तन करते हुए शराब दुकानों के साथ अहातों को तत्काल बंद करने का निर्णय लिया। इससे सरकार को तीन हजार करोड़ रुपए के राजस्व की वार्षिक हानि होगी। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से लगभग तीन हजार अहाते तुरंत बंद हो गए। शराब दुकान के पास शराब पीने के लिए हॉल बने होते हैं जिन्हें अहाते कहा जाता है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया कि अब प्रदेश में केवल दुकानों से शराब मिलेगी दुकान पर बैठने बैठ कर पीने की व्यवस्था बंद की जा रही है। इसी के साथ स्कूल, कॉलेज और धार्मिक स्थानों से ५० मीटर की बजाय १०० मीटर पर शराब की दुकानें होंगी। इसके अलावा यदि यहां के स्थानीय निवासी शराब की दुकानों का विरोध करते हैं तो सर्वेक्षण के पश्चात यह दुकानें बंद कर दी जाएंगी। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती प्रदेश में शराब बंदी लागू करने के लिए लगातार आंदोलन कर रही हैं। उन्होंने अनेक शराब की दुकानों को बंद भी करवाया है और उनके सामने धरने भी दिए हैं। उमा भारती ने संघ के शीर्ष पदाधिकारियों से भी कई बार मुलाकात कर मध्यप्रदेश मेंशराब बंदी लागूकरने की मांग की है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की नागपुर में हुई बैठक के दौरान इस मुद्दे को संघ ने उठाया था। मोहन भागवत से चर्चा के बाद मुख्यमंत्री ने तुरंत मंत्रिमंडल की बैठक १९ फरवरी को बुलाई जिसमें यह घोषणा की गई। मुख्यमंत्री ने जिस तरह से सरसंघचालक से मुलाकात के बाद यह कदम उठाया है उससे यह परसेप्शन बना है कि उन्होंने संघ की सलाह के बाद ऐसा किया है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार धीरे-धीरे शराबबंदी की ओर बढ़ रही है। एसक मार्च को प्रस्तुत होने वाले प्रदेश के बजट में शराबबंदी और नशा मुक्ति को लेकर कुछ और महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं। मुख्यमंत्री अपनेस्तर पर इस बात का भी सर्वे करवा रहे हैं कि यदि पूर्ण शराबबंदी प्रदेश में लागू की जाए तो इसका आर्थिक रूप से कितना नुकसान होगा और उसकी भरपाई कैसे होगी? शराबबंदी से भाजपा को राजनीतिक रूप से अत्याधिक लाभ हो सकता है। खासतौर पर महिला वोटरों में शराबबंदी का प्रभुत्व रहेगा। गुजरात के अलावा बिहार में महिला वोटरों पर शराब बंदी का असर देखा जा चुका है। बिहार में नीतीश कुमार की लोकप्रियता का एक कारण यह भी है कि उनहें महिलाओं का जबरदस्त समर्थन मिलता है। इसका कारण उनके द्वारा लागू की गई शराबबंदी है। हालांकि अनेक विशेषज्ञ शराबबंदी को सही नीति नहीं मानते क्योंकि कहीं भी पूर्ण शराबबंदी नहीं की जा सकती। जिन राज्यों में शराबबंदी की गई है वहां अवैध रूप से शराब बेची जाती है। बिहार में जहरीली शराब को लेकर लगातार कांड हो रहे हैं। यहां एक बड़ा वर्ग शराबबंदी को हटाने की मांग कर रहा है। मुख्यमंत्री इन सभी पहलुओं पर गंभीरता पूर्वक विचार करने के बाद ही आगे बढऩा चाहते हैं। फिलहाल अहाते बंद करने के निर्णय से भी महिला वोटरों में अच्छा संदेश जाने की संभावना है। प्रदेश सरकार बजट में शराब पर अधिक कारोपेण कर उसको प्रसार को हतोत्साहित करने की नीति भी अपना सकती है।
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