दिल्ली की हवा में ओजोन की बढ़ती मात्रा से प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है. सेंटर फोर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) के अनुसार, दिल्ली के घनी आबादी वाले इलाके जैसे पटपड़गंज, आरके पुरम, नेहरूनगर, नजफगढ़ और सोनिया विहार के औद्योगिक व निम्न आय वाले लोगों की आबादी वाले इलाकों में प्रदूषण की स्थिति सबसे खतरनाक पाई गई.
ओजोन काफी हानिकारक है. खासतौर से सांस संबंधी रोगों, दमा और फेफड़ों की तकलीफों से पीड़ित मरीजों के लिए यह बहुत खतरनाक है.
सीएसई का यह अध्ययन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के व्दारा किये गए 31 निरीक्षण केंद्रों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है और सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी-मई के दौरान कम से कम 23 दिन ओजोन प्रमुख प्रदूषक पाया गया और ये खतरे के शुरुआती संकेत हैं.
इससे दिल की बीमारी का खतरा पैदा हो सकता है. हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट के 2017 के एक अध्ययन में बताया गया कि भारत में ओजोन के कारण कम उम्र में होने वाली मौत के मामलों में 148 फीसदी का इजाफा हुआ है.
अध्ययन में बताया कि गया कि फरवरी से मई के दौरान दैनिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में ओजोन की मात्रा में बढ़ोतरी हुई जोकि सूक्ष्म कणों के साथ प्रमुख प्रदूषक रहा रहा है.
काफी प्रतिक्रियाशील तत्व ओजोन नाइट्रोजन ऑक्साइड का ऊष्मा, सूर्य प्रकाश और अन्य वाष्पशील गैसों के साथ प्रतिक्रया से बनता है. यह ज्यादातर वाहनों से निकलने वाले धुएं व अन्य स्रोतों से उत्पन्न होता है.
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