महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार की पहल और महिला स्वसहायता समूहों का हौसला रंग लाने लगा है। मुरुम जमीन खेती के लिए अच्छी नहीं मानी जाती, लेकिन महिलाओं ने ऐसा पसीना सींचा कि मुरुम जमीन भी हरीभरी हो गई है। यह दृश्य देखने को मिल रहा है राजधानी से लगे ग्राम निलजा में।
राज्य सरकार की नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना के तहत यहां दो एकड़ में बाड़ी लगाई गई है। प्रकृति स्वसहायता समूह इसकी जिम्मेदारी संभाल रहा है। 13 सदस्यों वाले इस समूह की महिलाओं ने मुरुम जमीन पर बाड़ी तैयार करने के लिए जमकर मेहनत की, जिससे आमतौर पर बंजर कही जाने वाली जमीन पर बरबट्टी, भिंडी, लौकी, तुरई, अरहर की फसल लहलहाने लगी।
समूह की अध्यक्ष किरण साहू ने बताया कि 14 जुलाई 2020 को उन्होंने बाड़ी की शुरुआत की। भाठा जमीन होने के कारण प्रारंभ में काफी परेशानी हुई, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। बरबट्टी, भिंडी, लौकी, तुरई के साथ मक्का, तिल, उड़द और अरहर की भी फसल लगाई। अभी बरबट्टी निकल रही है और अरहर में फूल आ गए हैं। लगभग 16 किलो उड़द और 19 किलो तिल हुई। हरी सब्जियां बेचने से चार हजार की आय हुई।फसल का एक चक्र लगभग पूरा हो गया है।
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