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हाई प्रोफाइल सीट पर सीएम डॉ. रमन के खिलाफ हैं उनकी ‘पड़ोसी’

यूं तो आपने कई इत्तेफाकों के बारे में सुना होगा और कुछ इत्तेफाक आपके साथ भी हुए होंगे, लेकिन हम आपको एक ऐसे सियासी इत्तेफाक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें दो पड़ोसी ही चुनावी मैदान में एक दूसरे के आमने सामने हैं. सियासत में कभी कुछ निश्चित नहीं होता. कब आपका दोस्त ही आपका प्रतिद्वंदी बन जाए कुछ कहा नहीं जाता. जी हां हम बात कर रहे हैं मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और करूणा शुक्ला की.
भाई लाइव में इनको और मुझे टैग करना है.

कभी एक ही पार्टी में साथ काम करने वाले नेता आज प्रतिद्वंदी के रूप में आमने सामने हैं, लेकिन इसे महज़ एक इत्तेफाक ही समझिए कि केवल राजनीतिक अखाड़े में नहीं बल्कि निजी जीवन में भी दोनों आमने-सामने ही हैं. दरअसल मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निजी निवास के ठीक सामने राजनांदगांव से कांग्रेस की उम्मीदवार और इस चुनाव में उनकी प्रतिद्वंदी करुणा शुक्ला का मकान है, जो की विधायक कोटे से दोनों को आवंटित हुआ था. एक समय था जब करुणा शुक्ला सीएम रमन सिंह को राखी बांधा करती थी और दोनों को आमने सामने ही निवास आवंटित हुआ था. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने मेरा घर भाजपा का घर अभियान की शुरुआत अपने मौलश्री विहार स्थित निवास से ही की और जब मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री से ये पूछा गया कि आपकी प्रतिद्वंदी का मकान भी ठीक सामने ही है तो इस सवाल पर हंसते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस चुनाव में हम आमने सामने हैं, लेकिन कई चुनावों में हम साथ चले हैं. राखी का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार होता है जिसमें भाई अपनी बहन और बहन, भाई की खुशी के लिए दुआ करती है. देखना ये है कि अब राजनांदगांव के दंगल में किसको किसकी पुरानी दुआ फलती है. जाहिर तौर पर जब भाई बहन के रिश्ते फलफूल रहे थे तो दोनों ने एक दूसरे को जीवन की हर मनोकामना पूर्ति का आशीष तो दिया ही होगा. वहीं .कभी बीजेपी में रही करुणा अब दल बदलकर कांग्रेस की हो चुकी है, लेकिन यहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की भी ये पक्तियां बिल्कुल सटिक बैठती है. जब उन्होने कहा था कि आप अपने मित्र जरूर बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं. अब कोई जीते या हारे पड़ोसी का रिश्ता तो स्थायी ही रहेगा.