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पंचायत चुनाव से पहले बड़ी गड़बड़ी: दस साल में गायब हो गए जिले के 1,73,778 अनुसूचित जनजाति के लोग

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बलिया जिले से पिछले 10 सालों में अनुसूचित जनजाति के 173778 लोग गायब हो गए हैं। जनगणना 2011 के अनुसार जिले में अनुसूचित जनजाति के कुल सदस्यों की संख्या 173778 थी, जिसे इन 10 सालों में और बढ़ जाना चाहिए था, लेकिन यहां मामला उलटा दिख रहा है। यह कहां गए, यह बताने वाला कोई नहीं है। तहसील मुख्यालयों से भेजी गई रिपोर्ट में यह जरूर बता दिया गया है कि जिले के किसी भी कोने में अनुसूचित जनजाति का कोई भी परिवार या सदस्य निवास नहीं करता है।शासन के निर्देश पर जिला पंचायत राज अधिकारी की ओर से जिले के सभी तहसील मुख्यालयों को पत्र भेजकर वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में अनुसूचित जनजाति की दिखाई गई जनसंख्या की वास्तविक रिपोर्ट भेजने को कहा गया था। सभी तहसील मुख्यालयों की ओर से डीपीआरओ को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, जिले में अनुसूचित जनजाति का एक भी परिवार या सदस्य नहीं है। अब डीपीआरओ का कहना है कि यह रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। यदि रिपोर्ट मान्य हुई तो जिले में पंचायत चुनाव को लेकर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें खतरे में पड़ सकती हैं।जनगणना 2011 के अनुसार जिले में अनुसूचित जनजाति के कुल 173778 लोग थे। इनमें गोंड जाति के कुल 138942 और खरवार जाति के 34836 लोग शामिल थे। इनमें गोंड जाति के 39576 पुरुष, 38498 महिला और 60868 बच्चे शामिल थे।
इसी प्रकार, खरवार जाति के 9499 पुरुष, 9587 महिला और 15750 बच्चे थे लेकिन अब इन्हें अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में नहीं माना जा रहा है, क्योंकि ये जाति प्रमाणपत्र के लिए शासन के निर्देशों के अनुसार मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं।इस बारे में तहसीलदार बैरिया शिवसागर दुबे के अनुसार शासन ने जो गाइड लाइन दी है, उसके अनुसार अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र देने के लिए 1950 से पहले राष्ट्रपति की ओर से जारी शासनादेश जिसमें जाति के कालम में जाति लिखी हो अथवा 1356 व 1359 फसली के साथ टीसी व शैक्षणिक प्रमाणपत्र जिसमें जाति लिखी होनी चाहिए। यदि यह नहीं है तो अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता है।
बदल सकता है 725 सीटों के आरक्षण का पैमाना
तहसीलों की ओर से किए गए सत्यापन में कहीं भी अनुसूचित जनजाति के लोग नहीं मिले हैं। तहसीलों ने इसकी रिपोर्ट जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय को भेजी है जिसे शासन को भेजा जाएगा। अगर रिपोर्ट मान्य हुई तो जिले में पंचायत चुनाव को लेकर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 725 सीटें खतरे में पड़ सकती हैं और पूरे आरक्षण में हेर-फेर हो सकता है।पंचायत चुनावों में हर बार की तरह इस बार भी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सीटों का आरक्षण शासन की ओर से जारी गाइड लाइन के अनुसार किया गया है। बताया जाता है कि नियमानुसार जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, ग्राम प्रधान, बीडीसी और ग्राम पंचायत सदस्य के पदों पर आरक्षण निर्धारित किया गया है। अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर जिले में अनुसूचित जनजाति के लिए अलग-अलग पदों के लिए आरक्षित कुल 725 सीटों पर चुनाव कौन लड़ेगा। अगर सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकार किया तो एक बार फिर किए गए आरक्षणों में उलटफेर भी हो सकता है।
ग्राम पंचायत व वार्डों की स्थिति- आरक्षित अनुसूचित जनजाति
ग्राम पंचायत-               940-                     53
जिला पंचायत वार्ड-         58-                     02
बीडीसी सदस्य –           1441-                    72            
ग्राम पंचायत सदस्य    12098-                  598सभी तहसीलों की ओर से अनुसूचित जनजाति का वास्तविक अवधारण निर्धारित करते हुए रिपोर्ट भेजी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, कहीं भी अनुसूचित जनजाति के लोग सत्यापन में नहीं मिले हैं। रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। शासन के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी। – गुलाब सिंह, एडीपीआरओ, बलिया
जनगणना 2011 के अनुसार जिले में विकास खंडवार अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या
विकास खंड          जनसंख्यापंदह     5665मनियर     10565रसड़ा       5972रेवती          11615चिलकहर        9761मुरली छपरा     9299नगरा                  6531बांसडीह              16373बैरिया                 11146सीयर                 15115बेलहरी               9329हनुमानगंज            10932सोहांव               7504गड़वार               14886नवानगर            10935दुबहर                 10301बेरुआरबारी        6161

बलिया जिले से पिछले 10 सालों में अनुसूचित जनजाति के 173778 लोग गायब हो गए हैं। जनगणना 2011 के अनुसार जिले में अनुसूचित जनजाति के कुल सदस्यों की संख्या 173778 थी, जिसे इन 10 सालों में और बढ़ जाना चाहिए था, लेकिन यहां मामला उलटा दिख रहा है। यह कहां गए, यह बताने वाला कोई नहीं है। तहसील मुख्यालयों से भेजी गई रिपोर्ट में यह जरूर बता दिया गया है कि जिले के किसी भी कोने में अनुसूचित जनजाति का कोई भी परिवार या सदस्य निवास नहीं करता है।

शासन के निर्देश पर जिला पंचायत राज अधिकारी की ओर से जिले के सभी तहसील मुख्यालयों को पत्र भेजकर वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में अनुसूचित जनजाति की दिखाई गई जनसंख्या की वास्तविक रिपोर्ट भेजने को कहा गया था। सभी तहसील मुख्यालयों की ओर से डीपीआरओ को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, जिले में अनुसूचित जनजाति का एक भी परिवार या सदस्य नहीं है। अब डीपीआरओ का कहना है कि यह रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। यदि रिपोर्ट मान्य हुई तो जिले में पंचायत चुनाव को लेकर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें खतरे में पड़ सकती हैं।

जनगणना 2011 के अनुसार जिले में अनुसूचित जनजाति के कुल 173778 लोग थे। इनमें गोंड जाति के कुल 138942 और खरवार जाति के 34836 लोग शामिल थे। इनमें गोंड जाति के 39576 पुरुष, 38498 महिला और 60868 बच्चे शामिल थे।

इसी प्रकार, खरवार जाति के 9499 पुरुष, 9587 महिला और 15750 बच्चे थे लेकिन अब इन्हें अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में नहीं माना जा रहा है, क्योंकि ये जाति प्रमाणपत्र के लिए शासन के निर्देशों के अनुसार मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं।
इस बारे में तहसीलदार बैरिया शिवसागर दुबे के अनुसार शासन ने जो गाइड लाइन दी है, उसके अनुसार अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र देने के लिए 1950 से पहले राष्ट्रपति की ओर से जारी शासनादेश जिसमें जाति के कालम में जाति लिखी हो अथवा 1356 व 1359 फसली के साथ टीसी व शैक्षणिक प्रमाणपत्र जिसमें जाति लिखी होनी चाहिए। यदि यह नहीं है तो अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता है।

बदल सकता है 725 सीटों के आरक्षण का पैमाना

तहसीलों की ओर से किए गए सत्यापन में कहीं भी अनुसूचित जनजाति के लोग नहीं मिले हैं। तहसीलों ने इसकी रिपोर्ट जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय को भेजी है जिसे शासन को भेजा जाएगा। अगर रिपोर्ट मान्य हुई तो जिले में पंचायत चुनाव को लेकर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 725 सीटें खतरे में पड़ सकती हैं और पूरे आरक्षण में हेर-फेर हो सकता है।
पंचायत चुनावों में हर बार की तरह इस बार भी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सीटों का आरक्षण शासन की ओर से जारी गाइड लाइन के अनुसार किया गया है। बताया जाता है कि नियमानुसार जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, ग्राम प्रधान, बीडीसी और ग्राम पंचायत सदस्य के पदों पर आरक्षण निर्धारित किया गया है। अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर जिले में अनुसूचित जनजाति के लिए अलग-अलग पदों के लिए आरक्षित कुल 725 सीटों पर चुनाव कौन लड़ेगा। अगर सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकार किया तो एक बार फिर किए गए आरक्षणों में उलटफेर भी हो सकता है।

ग्राम पंचायत व वार्डों की स्थिति- आरक्षित अनुसूचित जनजाति

ग्राम पंचायत-               940-                     53

जिला पंचायत वार्ड-         58-                     02

बीडीसी सदस्य –           1441-                    72            

ग्राम पंचायत सदस्य    12098-                  598
सभी तहसीलों की ओर से अनुसूचित जनजाति का वास्तविक अवधारण निर्धारित करते हुए रिपोर्ट भेजी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, कहीं भी अनुसूचित जनजाति के लोग सत्यापन में नहीं मिले हैं। रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। शासन के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी। – गुलाब सिंह, एडीपीआरओ, बलिया
जनगणना 2011 के अनुसार जिले में विकास खंडवार अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या
विकास खंड          जनसंख्या
पंदह     5665
मनियर     10565
रसड़ा       5972
रेवती          11615
चिलकहर        9761
मुरली छपरा     9299
नगरा                  6531
बांसडीह              16373
बैरिया                 11146
सीयर                 15115
बेलहरी               9329
हनुमानगंज            10932
सोहांव               7504
गड़वार               14886
नवानगर            10935
दुबहर                 10301
बेरुआरबारी        6161