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‘MSP लूट कैलकुलेटर’ नाम से नई सीरीज शुरू, केवल चने की एमएसपी न मिलने से 140 करोड़ रुपये का घाटा!

किसान आंदोलन को शुरू हुए 112 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक आंदोलन का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। इसी बीच किसानों ने ‘एमएसपी लूट कैलकुलेटर’ नाम से एक नई सीरीज शुरू की है, जिसमें प्रत्येक दिन लोगों को यह बताया जाएगा कि सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा के बाद भी किस तरह उस मूल्य पर फसलों की खरीद नहीं हो रही है, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर फसलों को बेचना पड़ रहा है। संगठन यह भी अनुमान दिखाएगा कि उचित नीति के अभाव में किसी फसल में किसानों को कितना नुकसान हो चुका है और अभी कितना और अधिक नुकसान होने का अनुमान है।गुरूवार को जय किसान आंदोलन ने चने की फसल का आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि केवल 1-15 मार्च के बीच चने की फसलों की खरीद में किसानों को 140 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। केंद्र सरकार ने चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5100 रुपये प्रति क्विंतल निर्धारित किया है, जबकि प्रमुख मंडियों में किसानों को यही फसल 400 रुपये से एक हजार रुपये तक कम कीमत पर बेचनी पड़ रहा है। इस प्रकार किसानों को अब तक 140 करोड़ रूपये का नुकसान हो चुका है।यह नुकसान केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य, प्रमुख मंडियों में हुई फसल की बिक्री और राज्यों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर निकाला गई है। अगर यही आंकड़े स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार बनाए गए होते, तो यह घाटा बढ़कर 487 करोड़ रुपये तक हो सकता था।किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की सच्चाई यही है कि इसकी घोषणा के बाद भी उस मूल्य पर फसलों की खरीद नहीं की जाती। फसलों की गुणवत्ता को आधार बनाकर उन्हें कम कीमत दी जाती है या फसलों की खरीद न होने के कारण किसानों को खुले बाजार में बिक्री करनी पड़ती है जिसके कारण उन्हें भारी नुकसान होता है।अविक साहा ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने ‘एमएसपी दिलाओ’ नाम से एक अभियान शुरू किया था। ‘एमएसपी लूट कैलकुलेटर’ उसी रणनीति का विस्तार है। इसके तहत प्रतिदिन एक नई फसल की बिक्री की वास्तविक स्थिति के बारे में लोगों को जानकारी दी जाएगी। क्योंकि बहुत से लोग पूरी प्रक्रिया से वाकिफ नहीं हैं और उन्हें लगता है कि एमएसपी की घोषणा होने के बाद किसानों को यह कीमत मिलने लगती है जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर है।