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वाराणसी में लापरवाही से बर्बाद हो रहा चार करोड़ लीटर पानी, पाइप लीकेज से समस्या 

पानी की बर्बादी (सांकेतिक तस्वीर)

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जलकल व जल निगम हर साल पानी की बर्बादी को रोकने के लिए मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करते हैं, लेकिन लीकेज के चलते वॉटर लॉस को कम नहीं कर पा रहे है। जलकल शहर की 20 लाख की आबादी को रोज पेयजल आपूर्ति करता है, इसमें वॉटर लॉस 20 फीसदी है। यानी चार लाख की आबादी की जरूरत पूरा करने वाला पानी रोज नालियों में बह रहा है।शहर के 90 वार्डों में से शायद ही कोई वार्ड होगा जहां लीकेज न हो। पेयजल पाइपलाइन में लीकेज से करीब चार करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। शहरवासियों को जलकल करीब 22 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति करता है। प्रति व्यक्ति को औसतन 135 लीटर पानी की जरूरत 
बनारस शहर में पानी की बर्बादी के बाद भी जिम्मेदार बेफिक्र हैं। बनारस में प्रति व्यक्ति को औसतन 135 लीटर पानी की जरूरत है। ऐसे में शहर की 20 लाख आबादी के सापेक्ष करीब 27 करोड़ लीटर पानी की जरूरत है। इस लक्ष्य के सापेक्ष करीब 16 करोड़ लीटर पानी की जरूरत को अन्य स्रोतों से पूरा किया जाता है।इसमें घरों में लगे सबमर्सिबल पंप, हैंडपंप, कुएं आदि परंपरागत स्रोतों के अलावा हर मोहल्ले में खुल चुके बोतलबंद पानी के प्लांट प्रमुख हैं। जलकल विभाग की रिपोर्ट के अनुसार नलों को खुला छोड़ देने, पीने के पानी से बागवानी, गाड़ियों की धुलाई, सड़कों तथा गलियों में बेवजह पानी का छिड़काव करने से सर्वाधिक पानी की बर्बादी होती है। इसके अलावा पेयजल पाइपों में लीकेज भी बर्बादी का कारण है। एक नजर में आंकड़े 
145 : एमएलडी पानी गंगा से 
155: एमएलडी वाटर ट्यूबवेल
 300 : एमएलडी की आपूर्ति टैंक से
लीकेज के चलते होती दूषित जलापूर्ति 
शहर में ऐसे भी तमाम इलाके हैं जहां नलों में पानी तो पहुंच रहा है, लेकिन दूषित व बदबूदार होने के कारण दैनिक उपयोग में भी नहीं किया जा रहा है। दूषित पेयजल होने के कारण भी पानी नालियों में बह रहा है। भुवनेश्वर नगर कॉलोनी, महमूरगंज, तुलसीपुर, रानीपुर के कुछ हिस्से, नरिया, सामनेघाट, नगवा, अस्सी, जैतपुरा, जलालीपुरा, लल्लापुरा, लहंगपुरा, औरंगाबाद, सुड़िया, सारंग तालाब आदि इलाके शामिल हैं।  

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जलकल व जल निगम हर साल पानी की बर्बादी को रोकने के लिए मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करते हैं, लेकिन लीकेज के चलते वॉटर लॉस को कम नहीं कर पा रहे है। जलकल शहर की 20 लाख की आबादी को रोज पेयजल आपूर्ति करता है, इसमें वॉटर लॉस 20 फीसदी है। यानी चार लाख की आबादी की जरूरत पूरा करने वाला पानी रोज नालियों में बह रहा है।

शहर के 90 वार्डों में से शायद ही कोई वार्ड होगा जहां लीकेज न हो। पेयजल पाइपलाइन में लीकेज से करीब चार करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। शहरवासियों को जलकल करीब 22 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति करता है। 

प्रति व्यक्ति को औसतन 135 लीटर पानी की जरूरत 

बनारस शहर में पानी की बर्बादी के बाद भी जिम्मेदार बेफिक्र हैं। बनारस में प्रति व्यक्ति को औसतन 135 लीटर पानी की जरूरत है। ऐसे में शहर की 20 लाख आबादी के सापेक्ष करीब 27 करोड़ लीटर पानी की जरूरत है। इस लक्ष्य के सापेक्ष करीब 16 करोड़ लीटर पानी की जरूरत को अन्य स्रोतों से पूरा किया जाता है।इसमें घरों में लगे सबमर्सिबल पंप, हैंडपंप, कुएं आदि परंपरागत स्रोतों के अलावा हर मोहल्ले में खुल चुके बोतलबंद पानी के प्लांट प्रमुख हैं। जलकल विभाग की रिपोर्ट के अनुसार नलों को खुला छोड़ देने, पीने के पानी से बागवानी, गाड़ियों की धुलाई, सड़कों तथा गलियों में बेवजह पानी का छिड़काव करने से सर्वाधिक पानी की बर्बादी होती है। इसके अलावा पेयजल पाइपों में लीकेज भी बर्बादी का कारण है। एक नजर में आंकड़े 
145 : एमएलडी पानी गंगा से 
155: एमएलडी वाटर ट्यूबवेल
 300 : एमएलडी की आपूर्ति टैंक से
लीकेज के चलते होती दूषित जलापूर्ति 

शहर में ऐसे भी तमाम इलाके हैं जहां नलों में पानी तो पहुंच रहा है, लेकिन दूषित व बदबूदार होने के कारण दैनिक उपयोग में भी नहीं किया जा रहा है। दूषित पेयजल होने के कारण भी पानी नालियों में बह रहा है। भुवनेश्वर नगर कॉलोनी, महमूरगंज, तुलसीपुर, रानीपुर के कुछ हिस्से, नरिया, सामनेघाट, नगवा, अस्सी, जैतपुरा, जलालीपुरा, लल्लापुरा, लहंगपुरा, औरंगाबाद, सुड़िया, सारंग तालाब आदि इलाके शामिल हैं।  

कई दूसरी एजेंसियों ने खोदाई करके पेयजल की पाइपलाइनों को डैमेज कर दिया है। जहां से सूचना मिलती है तत्काल उसे दुरुस्त कराया जा रहा है। कुछ पुरानी लाइनें हैं जिनको बदलने का काम जारी है। जल निगम से लीकेज को दुरुस्त कराया जा रहा है। लीकेज से 20 प्रतिशत पानी बर्बाद होता है। – रघुवेंद्र कुमार, महाप्रबंधक, जलकल