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Noida Covid News: मुर्दा होती इंसानियत, इंसान को वायरस मार रहा और पैसे का लालच ईमान

हाइलाइट्स:कोरोना काल में परेशान मरीजों और तीमारदारों से जारी है लूटअस्पतालवाले और ऐंबुलेंसवाले ले रहे मनमानी रुपयेमरीजों और तीमारदारों की नहीं हो रही कहीं भी सुनवाईग्रेटर नोएडाकोरोना वायरस के कहर से जहां देश की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलकर रख दी है तो वहीं बहुत से इंसानों के असली रंग को भी बाहर ला दिया है। महामारी के इस दौर में एक-दूसरे के साथ की बहुत जरूरत है, लेकिन उस समय कुछ लोग पैसों की खातिर अपना ईमान बेच रहे हैं। कुछ दानव रूपी इंसान जहां दवा, ऑक्सिजन जैसी चीजों की कालाबाजारी करने में लगे हैं तो कुछ लोग कोरोना से हुई मौतों से भी अपना फायदा ढूंढ रहे हैं।ये लोग पीड़ितों को इतना मजबूर कर देते हैं कि उनके पास इनके लिए बद्दुआ और आंसू के अलावा कुछ नहीं रहता। ग्रेटर नोएडा में शनिवार को इंसानियत को शर्मसार करने वाले ऐसे ही दो मामले सामने आए।’हमने जवान बच्चा खो दिया, अब अस्पताल वाले शव देने से पहले 8 लाख मांग रहे’नोएडा के एक निजी अस्पताल में 32 वर्षीय अमित उपाध्याय को 17 अप्रैल को ऐडमिट किया गया था। संक्रमण बढ़ने पर अस्पताल ने मरीज को वेंटिलेटर पर रखा। हालांकि इन्फेक्शन बढ़ने की वजह से 8 मई को अमित की मौत हो गई।परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन बॉडी देने से पहले आठ लाख रुपये की डिमांड कर रहा है। पैसे मिलने के बाद ही बॉडी रिलीज की बता कह रहे हैं। घरवाले रोते हुए बार-बार बस एक ही बात बोल रहे हैं कि हमें अपना जवान बच्चा खो दिया, अब हमें उसको शव तो दे दो।’इलाज की इतनी मोटी रकम देना नामुमकिन’परिजन नीरज ने बताया कि भाई अमित उपाध्याय पिछले महीने कोरोना की चपेट में आ गया था। संक्रमण बढ़ने पर नोएडा के एक निजी अस्पताल में 17 अप्रैल को ऐडमिट किया गया। कुछ दिन पहले उसके लंग्स में इन्फेक्शन होने की वजह से वेंटिलेटर की जरूरत की बात डॉक्टर ने बोली थी। छह मई को उसे वेंटिलेटर पर रखा लेकिन पैसों की डिमांड की जाती थी।शनिवार को अचानक डॉक्टर ने मौत की खबर दी, साथ ही आठ लाख का बिल थमा दिया। उनका कहना है कि इलाज की इतनी मोटी रकम देना हमारे लिए नामुमकिन है। ऐसे में इसको लेकर काफी समय तक आपसी बहस हुई, लेकिन समस्या का निदान नहीं हुआ। परिजनों ने ट्विटर पर भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन अभी तक किसी ने कोई सुनवाई नहीं की है। वहीं इस मामले में अस्पताल के प्रबंधन ने पैसे की डिमांड करने की बात को गलत ठहराया है। साथ ही शव देने की बात कही है।’शव को 13 किमी दूर श्मशान ले जाने के मांगे 15 हजार’कोरोना संक्रमित शवों को श्मशान घाट ले जाने में ऐम्बुलेंस चालकों की मनमानी जारी है। ऐसे ही एक मामले में शनिवार को ग्रेटर नोएडा वेस्ट के एक निजी अस्पताल से करीब 13 किलोमीटर दूर परी चौक श्मशान घाट ले जाने के बदले एक निजी ऐम्बुलेंस चालक ने 15 हजार रुपये मांग लिए। साथ ही ये भी कहा कि अगर वहां से दूसरी जगह शव को लेकर जाना पड़ा, तो दोगुने पैसे लिए जाएंगे। इस मामले को लेकर परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन के नियमों पर सवाल खड़े किए हैं।स्वास्थ्य विभाग से भी नहीं मिली मददग्रेटर नोएडा वेस्ट की निराला स्पायर सोसायटी में रमेश कॉल परिवार के साथ रहते हैं। ये कश्मीरी पंडित थे। कोरोना के लक्षण दिखने पर टेस्ट कराया लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई। सांस लेने में दिक्कत होने पर परिजनों ने गुरुवार को निजी अस्पताल में ऐडमिट किया। शनिवार को तबीयत बिगड़ने पर इनकी मौत हो गई। नेफोमा के वाइस प्रेसिडेंट महावीर ने बताया कि रमेश कॉल के बेटे छोटे हैं। ऐसे में परिवार की तरह से मदद की अपील की गई थी।ऐंबुलेंसवाले ने मांगे 15000महावीर ने बताया कि बॉडी को अस्पताल से परी चौक श्मशान घाट तक ले जाने के लिए ऐम्बुलेंस नंबर यूपी-15 बीटी 4929 के चालक से बात की। उसने करीब 13 किमी दूर जाने के लिए 15 हजार रुपये मांगे। स्वास्थ्य विभाग की ऐम्बुलेंस के लिए मदद मांगी, लेकिन जवाब नहीं मिला। बाद में कोई और ऐम्बुलेंस में थोड़े कम दाम में शव लेकर गए। प्रतीकात्मक चित्र