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बरेलीः संक्रमण इसलिए कम क्योंकि एंटीजन किट ही फेल

मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन से दो दिन पहले मिली रैपिड किट नहीं बता पा रही परिणामजांच के सेंटरों से मिली रिपोर्ट तो सीएमओ ने शासन को भेजी जानकारी, बदली जाएगी किट
बरेली। कई दिन स्टॉक खत्म होने की वजह से रैपिड एंटीजन किट से टेस्ट नहीं पाए और अब मेडिकल कॉरपोरेशन से मिली रैपिड किट परिणाम ही नहीं बता पा रही है। दो दिन से लगातार रैपिड किट से संक्रमितों की तलाश में विफल होने के बाद जांच प्रभारियों की शिकायत पर सीएमओ ने मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन को सूचना भेजी है। यह भी माना जा रहा है कि रैपिड किट फेल होने की वजह से जिले में संक्रमण का सही स्तर नहीं पता चल पा रहा है।कई दिनों के संकट के बाद मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन की ओर से सोमवार को रैपिड एंटीजन किट की सप्लाई जिले में भेजी गई थी लेकिन इस किट से जब जांचें शुरू हुईं तो पता लगा कि यह किट संक्रमितों की सीटी वैल्यू यानी संक्रमण का स्तर बताने में नाकाम साबित हो रही है। बता दें कि कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर काबू पाने के लिए रैपिड किट से टेस्ट कर संक्रमितों को तेजी से ट्रेस करना बेहद जरूरी माना जा रहा है। इसलिए लगातार इस किट से जांच की जा रही है। अब तक इसके परिणाम भी ठीक मिल रहे थे यानी जो लोग रैपिड किट से जांच में पॉजिटिव पाए गए थे, उनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी लेकिन अब यह स्थिति गड़बड़ा गई है।सोमवार को ही मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन ने रैपिड एंटीजन किट की नई खेप भेजी थी। मंगलवार को इसी खेप से एमएमएयू के साथ तीन सौ बेड अस्पताल को भी किट सप्लाई की गई। पहले ही दिन किट के जांच में सही परिणाम न देने के कई मामले सामने आए। बुुधवार को भी कई जांच किट में सटीक परिणाम नहीं मिले तो टीम ने प्रभारियों को सूचना दी।
जांच कराने आए लोग भड़के और टीमें भी असमंजस में, अब आरटीपीसीआर जांच
अग्रसेन पार्क और शील चौराहे पर लगे कैंप में जब रैपिड एंटीजन जांच किट से परिणाम नहीं मिले तो यहां जांच कराने पहुंचे लोग भड़क गए और टीमों से नोंकझोंक शुरू हो गई। खामियां मिलने पर प्रभारियों ने सीएमओ को जानकारी दी तो उन्होंने जांच प्रभारियों को किट से जांच करने के साथ आरटीपीसीआर जांच के लिए भी सैंपल लेेने के निर्देश दिए हैं। अब टीम परिणाम सामने न आने पर आरटीपीसीआर जांच के लिए भी सैंपल ले रही है। लोग इससे असंतुष्ट हैं क्योंकि आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट एक सप्ताह से दस दिन के बीच आ रही है।
वायरल लोड का ही पता नहीं चल रहा, कैसे मानें संक्रमित
कोरोना की जांच में सीटी वैल्यू से ही संक्रमण का पता चलता है जो किसी भी व्यक्ति में वायरल लोड बताती है। चिकित्सकों के मुताबिक किट से सी और टी दो वैल्यू की जांच की जाती है। इसमें एक लाइन मिलने पर व्यक्ति को निगेटिव माना जाता है। हालांकि वह निगेटिव है यह महज 30 फीसदी ही सटीक होता है। वहीं दोनों लाइन दिखने पर व्यक्ति को पॉजिटिव माना जाता है। इस नतीजे को 95 फीसदी से ज्यादा सटीक माना जाता है। नई किट में यह वैल्यू पता नहीं चल रही है।
दवाओं की भी साल भर से सैंपलिंग नहीं
मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन की ओर से सप्लाई की जा रही दवाएं कारगर हैं या नहीं, इस पर भी सवालिया निशान लगा हुआ है। जिला अस्पताल समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की जा रही तमाम तरह की दवाओं के सैंपल की जांच साल भर से नहीं हुई है। नियमानुसार दवाओं के सैंपल की जांच कर उसके स्टैंडर्ड को आंका जाता है। बीते सालों में वायरल बीमारियों के इलाज के लिए सप्लाई हुई तमाम दवाओं के सैंपल फेल हुए थे।
आशंका: किट खराब इसलिए संक्रमण कम
मेडिकल कारपोरेशन से भेजी गई किट में जांच परिणाम सामने नहीं आ रहा है। जांच को लिया गया सैंपल किट में बिखर जा रहा है। ऐसी स्थिति में लोगों का हंगामा न हो रिपोर्ट को निगेटिव बताकर आरटीपीसीआर जांच को सैंपल लिया जा रहा है। मंगलवार को जांच किट में गड़बड़िया सामने आईं और शाम को छह हजार से ज्यादा सैंपल की जांच रिपोर्ट में 249 संक्रमित मिले। इसमें पूर्व में हुई आरटीपीसीआर, ट्रूनेट की जांच भी शामिल थी।