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कानपुर: मृतक के परिजन अस्पताल प्रशासन के आग मिन्नते करते हैं, बिना पैसे जमा किए शव नहीं दिया, DM के आदेश पर FIR

सुमित शर्मा, कानपुरकोरोना वायरस की दूसरी लहर में प्राइवेट कोविड फैसिलिटी हॉस्पिटलों ने शहरवासियों के साथ सौतेला व्यवहार किया है। बेड और ऑक्सिजन के लिए खूब रुलाया। एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है। कानपुर के कृष्णा स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने संक्रमित पेशेंट का 4.85 लाख का बिल बनाया था। संक्रमित पेशेंट की मौत हो जाने पर हॉस्पिटल परिजनों को शव नहीं सौंप रहा था। कृष्णा हॉस्पिटल परिजनों पर बकाया बिल के 2.40 लाख जमा करने का दबाव बना रहा था। डीएम के आदेश पर हॉस्पिटल पर एफआईआर दर्ज की गई है।कानपुर के नौबस्ता थाना क्षेत्र के केशव नगर निवासी महेश चंद्र मिश्रा कोरोना पॉजिटिव थे। महेश चंद्र को टालमिल स्थित कृष्णा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। हॉस्पिटल ने उपचार के नाम पर परिजनो से 2.45 लाख पहले ही जमा करा लिए थे। बीते मंगलवार को महेश चंद्र की इलाज के दौरान मौत हो गई। परिजनों ने हॉस्पिटल से शव मांगा तो उन्हे 4.85 लाख का बिल थमा दिया गया। मृतक के परिजनों से कहा गया कि पहले बकाया बिल के 2.40 लाख रुपये जमा करने होगें, तभी शव दिया जाएगा। परिजन हाथ जोड़कर शव देने के लिए मिन्नतें करते रहे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन नहीं पिघला।मृतक के बेटे ने की थी डीएम से शिकायतकृष्णा हॉस्पिटल ने जब शव नहीं दिया तो मृतक के बेटे ने डीएम आलोक तिवारी से शव दिलाने के लिए गुहार लगाई। डीएम आलोक तिवारी ने एसीएम प्रथम आरपी वर्मा और एसीएमओ डॉ. एपी मिश्रा को मौके पर भेजा। साथ ही पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए। एसीएम प्रथम ने मृतक का शव परिजनों को दिलवा दिया। इसके साथ ही घटना की जांच शुरू की गई।एसीएम प्रथम और एसीएमओ ने जांच में पाया कि हॉस्पिटल ने 4,85,417 का बिल बनाया था। तीमादारों से पहले ही 2.45 लाख रुपये जमा करा लिए गए थे। जांच में पाया कि हॉस्पिटल ने कई चार्ज फर्जी तरीके से लगाए थे, जबकि शासन स्तर पर निर्धारित दरों में पैथोलॉजी का भी चार्ज जुड़ा होता है। डीएम के आदेश पर एसीएमओ ने हॉस्पिटल के खिलाफ रेलबाजार थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।फैमिली हॉस्पिटल पर हो चुकी है कार्रवाईनौबस्ता स्थित कोविड स्टेट्स फैमली हॉस्पिटल पर डीएम के आदेश पर बीते 27 अप्रैल को एफआईआर दर्ज कराई गई थी। डीएम के निर्देश पर एसीएम प्रथम ने नौबस्ता थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। फैमिली अस्पताल ने एक मरीज का सात दिनों में 03.50 लाख का बिल बनाया था। तीमारदारों ने इसकी शिकायत आलाधिकारियों से की थी। डीएम ने इसकी जांच कराई थी, जिसमें अस्पताल दोषी पाया गया था।