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ना छपास की आस, ना दिखावा…कोरोना की दूसरी लहर में यूं चुपचाप काम कर रहे RSS के स्वयंसेवक

हाइलाइट्स:अप्रैल माह में कोरोना के दूसरे चरण के शुरू होते ही आरएसएस के स्वयंसेवकों ने शुरू कर दी थी सेवा प्लाज्मा, ब्लड, बेड, ऑक्सीजन, मेडिकल उपकरण, भोजन… हर चीज के लिए दी गई आरएसएस पदाधिकारियों को जिम्मेदारीलखनऊ के 10 बड़े अस्पतालों के बाहर बैठे मरीज के तीमारदारों को भोजन उपलब्ध करा रहा RSSहेमेन्द्र त्रिपाठी, लखनऊलखनऊ में तेजी से बढ़ रही संक्रमितों की संख्या के साथ लोगों को बेड, ऑक्सीजन, मेडिकल उपकरण और दवाइयों की जरूरत भी बढ़ती जा रही थी। ऐसे में कई सामाजिक संगठन और राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आए, जिनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुईं। लेकिन, इन सबके बीच एक संगठन ऐसा भी था, जो सोशल मीडिया से मिलने वाली प्रतिष्ठा और सम्मान से दूर अदृश्य होकर लोगों की सेवा में जुट गया था और आज भी लगातार सेवा कार्य ही कर रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की लखनऊ महानगर की इकाई के हजारों स्वयंसेवकों ने कोरोना महामारी के दूसरे चरण में संक्रमण से जूझ रहे लोगों की सेवा के कार्य को ही अपना उद्देश्य बनाकर दिन रात लोगों की समस्याओं का निस्तारण किया। बिना किसी दिखावे के स्वयंसेवकों की ओर से किए जा रहे इस सेवाकार्य की किसी को भनक तक नहीं लगी और स्वयंसेवकों की इस चैन ने देखते ही देखते लाखों लोगों को जीवनदान देने का कार्य किया। यूं ग्राउंड जीरो पर हुआ कामआरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि अप्रैल माह में कोरोना के दूसरे चरण के शुरू होते ही आरएसएस के स्वयंसेवकों ने लोगों की मदद करने के लिए मोर्चा संभाल लिया था। गंभीर परिस्थितियों को देखते ही लखनऊ महानगर के स्तर का 10 से 15 स्वयंसेवकों का एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया। इस ग्रुप के स्वयंसेवकों ने 4 भागों में बटे लखनऊ के 4 अलग-अलग ग्रुप बनाये और उसी प्रकार इन भागों में बने 40 नगरों के अलग ग्रुप बने। सबसे अंत मे संगठन की ओर से इन नगरों में बनाई गई बस्तियों के आपदा प्रबंधन के नाम से अन्य ग्रुप बनाए गए, जिनमें 70 से 80 सक्रिय स्वयंसेवकों को जोड़ा गया। इस लिहाज से व्यवस्थाओं को सही करने और लोगों की मदद करने के लिए तकरीबन 100 से अधिक ग्रुप तैयार हुए, जिनमें 2500 स्वयंसेवकों ने एक साथ मोर्चा संभाला। उन्होंने बताया कि महानगर के किसी भी स्थान पर यदि किसी मरीज को आवश्यकता पड़ती थी तो उसकी सूचना आपदा प्रबंधन के ग्रुप में बढ़ा दी जाती थी, फिर जो भी स्वयंसेवक उस समस्या का समाधान करने में सक्षम होता था, वह तत्काल मौके पर पहुंचकर उनकी मदद करता था।40 लोगों की टीम हुई तैयार, 500 मरीजों तक पहुंचाई गई दवाइयांसंघ के एक अन्य कार्यकर्ता ने बताया महामारी के दौर में अलग-अलग काम के लिए 40 लोगों को जोड़कर 10 टीमें तैयार की गई हैं। स्वयंसेवकों को प्लाज्मा, ब्लड, बेड, ऑक्सीजन, मेडिकल उपकरण, भोजन व्यवस्था, अंतिम संस्कार आदि की जिम्मेदारियों सौंपी गई। दवाइयों का जिम्मा संभाल रहे दिगंत ने 500 से अधिक लोगों के पास उपचार से संबंधित दवाइयों को पहुंचाने का काम किया। वहीं, लखनऊ विभाग के सह विभाग कार्यवाह बृजेश को अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड का इंतजाम कराने की जिम्मेदारी दी गई।रोजाना अस्पतालों में 1000 लोगों को मिल रहा भोजन, चौराहों पर बांट रहे 4000 पैकेटहजारों की संख्या में आपदा प्रबंधन के लिए काम कर रही स्वयंसेवकों की टीम राजधानी के 10 बड़े अस्पतालों के बाहर बैठे मरीज के तीमारदारों को भोजन उपलब्ध कराने का काम करती है। जानकारी के मुताबिक, स्वयंसेवकों की ओर से रोजाना 1000 तीमारदारों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इतना ही नहीं, अस्पताल के बाहर बैठे तीमारदारों के साथ शहर के कई ऐसे स्थान हैं, जहां पर लोग रोजाना कमाकर अपना जीवन व्यापन करते हैं। चारबाग स्टेशन और ऐसी अन्य जगहों पर भूखे पेट सो रहे लोगों के लिए संगठन की ओर से भोजन के 4000 पैकेट तैयार किए जाते हैं, जो देर रात तक गरीब और असहाय लोगों में बांट दिए जाते हैं।मेडिकल स्टाफ की निगरानी में 50 आइसोलेशन बेड की व्यवस्थालखनऊ के निराला नगर स्थित माधव सभागार में आइसोलेशन के लिए 50 बेड की व्यवस्था हुई है, यहां मौजूद हर बेड पर ऑक्सीजन कॉन्सल्टरेटर की व्यवस्था की गई है। संक्रमित होने के बाद आइसोलेशन के लिए आने वाले मरीजों की दवाई के साथ भोजन, व्यायाम और योग जैसी सारी सुविधाएं का ध्यान रखा जाता है। मरीजों के उपचार के लिए 5 नर्सिग स्टाफ के साथ 15 डॉक्टर्स की टीम को लगाया गया है। जो समय समय पर आकर मरीजों का हाल जानते हैं।