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कोरोना के चलते खाईं अस्पतालों की ठोकरें, मौत के बाद क्लेम देने में इंश्योरेंस कंपनी कर रही आनाकानी

शाहजहांपुरआमतौर पर लोग अपना जीवन बीमा या मेडिकल क्लेम बीमा इसलिए करवाते हैं कि बुरे वक्त में लाइफ इंश्योरेंस का पैसा उनके परिवार की मदद में काम आ सके, लेकिन शाहजहांपुर में कई परिवार ऐसे हैं जिन्होंने कोविड-19 के चलते अपने परिवार के मुखिया की मौत से पहले अस्पतालों की ठोकरें खाईं। अब क्लेम का अपना ही पैसा हासिल करने के लिए लोगों को इंश्योरेंस कंपनियों के चक्कर काटना पड़ रहे हैं।थाना सदर बाजार इलाके के खिरनी बाग के रहने वाले डॉ मृदुल कुमार की 8 मई 2021 को कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई थी। परिवार ने उन्हें बचाने के लिए सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के बाद बरेली के निजी अस्पताल की ठोकरें खाईं, लेकिन हालत गंभीर होने पर उन्हें बचाया नहीं जा सका।ऑफिस के चक्कर लगवा रही इंश्योरेंस कंपनीअपने जिंदा रहते डॉ मृदुल कुमार ने ओरिएंटल बैंक से ‘रक्षा इंश्योरेंस’ नाम की हेल्थ पॉलिसी कराई थी, ताकि बीमारी की स्थिति में उनके परिवार के ऊपर कोई आर्थिक बोझ ना पड़े। बीमा एजेंट ने इस पॉलिसी की इतनी तारीफ की थी कि उन्होंने तुरंत साइन करके पॉलिसी ले ली, और उसका भुगतान करना शुरू कर दिया। उनकी मौत के बाद अब यही इंश्योरेंस कंपनी उन्हें ऑफिस के चक्कर लगवा रही है।

इंश्योरेंस कंपनी ने तोड़ दी परिवार की उम्मीदएक महीना बीत जाने के बाद भी कंपनी की तरफ से उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। परिजनों का कहना है कि कागजी खानापूरी के नाम पर उनका मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। मृतक की पत्नी मिलन का कहना है कि आर्थिक संकट के चलते अगर उन्हें इंश्योरेंस का पैसा समय पर मिल गया होता तो शायद उन्हें काफी राहत मिल जाती।क्या कहते हैं इंश्योरेंस कंपनी के अफसर?ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के सहायक प्रबंधक आई एस वेदार का कहना है कि हेल्थ इंश्योरेंस के डॉक्युमेंट की वेरिफिकेशन की जिम्मेदारी एक निजी एजेंसी ‘रक्षा टीपीए’ को दी गई है। सारे डॉक्युमेंटेशन के वेरीफिकेशन की कारवाई पूरी होने के बाद उनकी कंपनी लाभार्थी को भुगतान कर देती है, जबकि एलआईसी के सहायक प्रबंधक अभिनव त्यागी का कहना है कि उनकी कंपनी बिना किसी जांच के, सिर्फ मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर लाभार्थी का भुगतान तुरंत कर रही है।