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एशिया के सबसे बड़े गांव के पूर्व सैनिकों ने रेलवे के खिलाफ खोला मोर्चा, ये है वजह

गाजीपुरएशिया के सबसे बड़े गांव के तौर पर मशहूर गहमर के रेलवे स्टेशन पर कई एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टॉपेज कोरोना काल में खत्म कर दिया गया था। गहमर और आसपास के गांवों के लोग बड़ी संख्या में भारतीय सेना में कार्यरत हैं। ट्रेनों के स्टॉपेज नहीं होने से सैनिकों को अपने पोस्टिंग से घर और वापस ड्यूटी पर जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रेनों के ठहराव को लेकर स्थानीय लोगों के सभी प्रयासों का परिणाम सिफर रहा। अब ऐसे में पूर्व सैनिक संगठन ने रेलवे के खिलाफ 18 जुलाई से अनिश्चिततकालीन धरना देने की योजना बनाई है।18 जुलाई से रेलवे के खिलाफ अनशनगहमर में भूतपूर्व सैनिक संगठन ने रविवार को रेल ठहराव समिति के सदस्यों के साथ बैठक कर अब यह निर्णय लिया है। संगठन ने कहा कि रेलवे प्रशासन के खिलाफ18 जुलाई से अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा। सैनिक संगठन के अध्यक्ष मारकंडे सिंह ने कहा कि अब सब्र का बांध टूट चुका है।

वहीं, रेलवे पुन: ठहराव समिति के संयोजक हृदय नारायण सिंह ने कहा कि गहमर के लोग रेलवे प्रशासन के पक्षपात पूर्ण रवैये से आहत हैं। पिछले 6 महीनों से वह लोग अधिकारियों से इस मसले को लेकर संपर्क कर थक चुके हैं। वह लोग दानापुर डीआरएम से लेकर जनप्रतिनिधियों के मार्फत रेल भवन तक ट्रेनों के ठहराव का मुद्दा उठा चुके हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।उन्होंने कहा कि कोरोना कम होने के बाद से स्थानीय लोग फरक्का एक्सप्रेक्स, पंजाब मेल, विभूति, कामाख्या भगत की कोठी और मगध एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों के ठहराव की मांग कर रहें हैं। इस मामले में कोई सुनवाई नहीं होने की सूरत में अब 18 जुलाई से रेलवे के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी है। यह अनशन तब तक चलेगा, जब तक रेलवे उनकी मांगों मान नहीं लेता है।

इसके लिए लोगों ने जन संपर्क कर आम लोगों से भी आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया जाएगा। गहमर से रेलवे को नहीं होती है कमाईगाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी ने इस मसले पर एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि ट्रेनों के ठहराव को लेकर वह रेल मंत्री को पहले ही पत्र लिख चुके हैं। इस मसले पर कोई एक्शन नहीं लिए जाने की सूरत में उन्होंने यह मसला रेलवे बोर्ड के चेयरमैन से मुलाकात कर उठाया। ट्रेनों के ठहराव को लेकर उनको बोर्ड की तरफ से यह बताया गया कि ट्रेनों का ठहराव, स्टेशनों से रेलवे से होने वाले रेवेन्यू कलेक्शन के आधार पर तय किया जाता है। ऐसे में गहमर से रेलवे को मानक अनुरूप राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है।

मैनपुरी में महिला ने 3 सिर वाले बच्चे को दिया जन्म, देखने के लिए जुट रही लोगों की भीड़हालांकि, सांसद अंसारी ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि सैनिक खुद टिकट नहीं कटाते, देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनाती के दौरान उनको यात्रा के लिए ट्रैवल वारंट सेना की तरह से उपलब्ध होता है। जिसका भुगतान सेना की तरह से रेलवे को किया जाता है। ऐसे में राजस्व का हवाला देकर सबसे अधिक सैनिकों वाले गांव गहमर को ट्रेनों के ठहराव से वंचित रखना उनकी समझ से परे है।