प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) राज्य विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालयों में नए शैक्षणिक सत्र से पीएचडी की पढ़ाई भी होगी। हालांकि पहले चरण में 25 महाविद्यालयों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी और बाद में इसका विस्तार किया जाएगा। यह निर्णय राज्य विवि की एकेडमिक कौंसिल की बैठक में लिया गया। अगस्त के पहले सप्ताह में प्रस्तावित कार्य परिषद की बैठक में इस पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी। एकेडमिक कौंसिल की बैठक में कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए।
पहले चरण के तहत मंडल के चारों जिलों प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, फतेहपुर के 25 महाविद्यालयों में पीएचडी की पढ़ाई शुरू की जाएगी। इनमें प्रयागराज के आठ, प्रतापगढ़ के 10, फतेहपुर के पांच और कौशाम्बी के दो महाविद्यालय शामिल हैं। दूसरे चरण में इसका विस्तार करते हुए अन्य महाविद्यालयों में भी पीएचडी की पढ़ाई शुरू कराई जाएगी। कुलपति प्रो. अखिलेश सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में विश्वविद्यालय की ओर से अनुमोदित किए गए शोध अध्यादेश में संशोधन किया गया और इसके तहत महाविद्यालयों को शोध केंद्र बनाने की स्वीकृति भी प्रदान की गई।
इसके लिए महाविद्यालयों को निर्धारित प्रक्रिया के तहत आवेदन करना होगा। इसके बाद विश्वविद्यालय की ओर से गठित कमेटी भौतिक निरीक्षण करेगी और तय मानक पर खरा उतरने पर शोध केंद्र स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी। इसके बाद ही पीएचडी की अनुमति मिलेगी। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि विश्वविद्यालय में आगामी सत्र से एनसीसी को वैकल्पिक पाठ्यक्रम के रूप में संचालित किया जाएगा। इसके अलावा पाठ्यक्रम समितियों की ओर से अनुमोदित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार शासन शासन द्वारा निर्मित न्यूनतम सामान्य पाठ्यक्रमों को अनुमोदित किया गया। साथ ही एकेडमिक कौंसिल ने स्वयं एवं एनपी टेल के माध्यम से ऑनलाइन पाठ्यक्रम करने की सुविधा और क्रेडिट ट्रांसफर की स्वीकृति भी प्रदान की।
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