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देवोत्थान एकादशी: घर में बनाएं गन्ने का मंडप, सिंघाड़ा, मूली और शकरकंद से करें भगवान की पूजा

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर से शयन के बाद जागते हैं। इस दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। कासगंज के सोरोंजी के ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना करने से कई गुना फलदायी लाभ मिलता है। इस दिन गन्ना, सिंघाड़ा, मूली, बेर से पूजा का विशेष महत्व है।

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मां लक्ष्मी भगवान विष्णु से कहा कि हे नाथ आप दिनरात जागते हैं और जब सोते हैं जो लाखों वर्ष के लिए सो जाते हैं। आप नियम से हर वर्ष निद्रा लिया करें। तभी से मान्यता है कि भगवान विष्णु प्रतिवर्ष चार मास के लिए वर्षा रितु में शयन करते हैं।

इसी मान्यता के तहत भगवान विष्णु देवोत्थान पर्व पर जागते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक भगवान विष्णु के जागने के साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस दिन विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना करने से पुण्य लाभ मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गन्ने का मंडप बनाएं और मूली, बेर, शकरकंद, सिंघाड़ा से पूजा करें।

यह करें उपाय-
– जलीय चीजों पर इस दिन उपवास रखना चाहिए।
– व्रत संभव न हो तो इस दिन चावल का सेवन न करें।
– भगवान विष्णु की उपासना करें।
– इस दिन लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा के सेवन से परहेज करें।

इस मंत्र का करें उच्चारण
– ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:
– उत्तिष्ठ गोविंद त्यज निद्रां जगत्पतये, त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत सप्तं भवेदिदम।

यह है पूजा की विधि
– गन्ने का मंडप बनाकर उसके बीच में चौक बनाएं।
– चौक के बीच में भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें।
– भगवान को गन्ना, सिंघाड़ा, बेर, शकरकंद चढ़ाएं।

सोरोंजी के ज्योतिषाचार्य पंडित राहुल वशिष्ठ ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी देवोत्थान एकादशी होती है। इसे देव उठनी एकादशी भी कहा जाता है। पंचाग के अनुसार देवोत्थान एकादशी 14 नवंबर को है। इस दिन विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना करने से विशेष पुण्य मिलता है।

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर से शयन के बाद जागते हैं। इस दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। कासगंज के सोरोंजी के ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना करने से कई गुना फलदायी लाभ मिलता है। इस दिन गन्ना, सिंघाड़ा, मूली, बेर से पूजा का विशेष महत्व है।

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मां लक्ष्मी भगवान विष्णु से कहा कि हे नाथ आप दिनरात जागते हैं और जब सोते हैं जो लाखों वर्ष के लिए सो जाते हैं। आप नियम से हर वर्ष निद्रा लिया करें। तभी से मान्यता है कि भगवान विष्णु प्रतिवर्ष चार मास के लिए वर्षा रितु में शयन करते हैं।

इसी मान्यता के तहत भगवान विष्णु देवोत्थान पर्व पर जागते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक भगवान विष्णु के जागने के साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस दिन विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना करने से पुण्य लाभ मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गन्ने का मंडप बनाएं और मूली, बेर, शकरकंद, सिंघाड़ा से पूजा करें।