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UP Election: टोपी पॉलिटिक्स में नया टर्न, गोल जालीदार टोपी जेब में और लाल टोपी सिर पर, ये कहां निशाना साध गए केशव प्रसाद मौर्य?

हाइलाइट्सयूपी की सियासत में टोपी पर घमासान जारीकेशव प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर किया जालीदार टोपी का जिक्रमौर्य ने कहा-सपा के गुंडे जालीदार टोपी जेब में रख लाल टोपी पहन लिएलखनऊ
लाल टोपी, काली टोपी, जालीदार टोपी, जैसे-जैसे उत्‍तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) नजदीक आ रहा, वैसे-वैसे टोपी पर घमासान बढ़ता जा रहा। टोपी के रंग और प्रकार के जरिए राजनीतिक दल एक दूसरे को घेरने की कोशिश में लगे हैं। टोपी पॉलिटिक्स (Topi Politics) में नया टर्न आया है। यूपी के उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक बयान में ‘गोल जालीदार टोपी जेब में और लाल टोपी सिर पर’ का जिक्र किया। आखिर मौर्य ने इस बयान के जरिए कहां निशाना साधने की कोशि‍श की?

टोपी की राजनीत‍िक शुरू कब हुई?
सबसे पहले यह जानते हैं क‍ि उत्‍तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के इस समर में टोपी की इंट्री कब हुई। सात दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर में टोपी वालों को यूपी के लिए खतरे की घंटी बताया था। हालांक‍ि उन्‍होंने किसी राजनीतिक दल का नाम तो नहीं लिया, लेकिन ये सबको पता है क‍ि लाल टोपी किस पार्टी के लोग पहनते हैं।

पीएम मोदी के इस बयान पर पलटवार करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्‍तर प्रदेश के पूर्व सीएम अख‍िलेश यादव ने कहा क‍ि लाल रंग इमोशन का रंग है, क्रान्ति और बदलाव का प्रतीक है। पीएम जानते हैं, इस बार यूपी में बदलाव होने जा रहा है। केवल एक रंग को मानने वाले लोग हमारी भावनाएं नहीं समझ सकते। पीएम मोदी ने अपने वादे पूरा नहीं किए, इसलिए अपनी भाषा बिगाड़ रहे हैं।

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इसके बाद उत्‍तर प्रदेश के उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कई बार जालीदार टोपी का जिक्र किया तो वहीं आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने काली टोपी पर निशाना साधा। हालांक‍ि उत्‍तर प्रदेश की सियासत में टोपी पॉलिटिक्स नया नहीं है। इससे पहले 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उस समय टोपी को लेकर चर्चा का केंद्र बने थे जब उन्होंने मगहर में कबीर टोपी पहनने से इनकार कर दिया था। लोकसभा उपचुनाव में फूलपुर में भी योगी का लाल टोपी के सूर्यास्त होने का बयान सियासी मुद्दा बना था।

केशव प्रसाद मौर्य ने अब क्‍या कहा?
उत्‍तर प्रदेश की योगी सरकार में उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सबसे पहले तीन दिसंबर को प्रयागराज में आयोजित व्यापारियों के सम्मेलन में कहा, ‘2017 विधानसभा चुनाव से पहले लुंगी छाप और जालीदार टोपी लगाए गुंडे बन्दूक गोली लेकर व्यापारियों को डराने का काम करते थे. बीजेपी ने इन लोगों से निजात दिलाई है।’

इसके बाद 13 और फिर 20 दिसंबर को उन्‍होंने कहा क‍ि सपा के गुंडे जालीदार टोपी जेब में रख लाल टोपी पहन लिए हैं, लेकिन उन्‍हें प्रदेश सरकार बख्शने वाली नहीं है।

मौर्य का निशाना कहां है?
कई पत्र-पत्रिकाओं में राजनीत‍ि पर कॉलम लिखने वाले वरिष्‍ठ पत्रकार संजय श्रीवास्‍तव इस बयान के मायने समझाते हैं। वे कहते हैं, ‘याद करिए शाहजहांपुर में पीएम मोदी ने क्‍या कहा था। पीएम ने कट्टे का जिक्र करते हुए कहा था क‍ि पहले यहां क्या कहते थे, सूरज डूबता था, कट्टा लहराने वाले सड़कों पर आ जाते थे। कट्टा गया या नहीं, कट्टा जाना चाहिए था कि नहीं। अपने इस तरह के भाषण के जरिए वे जनता को ये संदेश देना चाहते है क‍ि यूपी की कानून व्‍यवस्‍था पिछली सरकारों से बहुत बेहतर है। जबकि इसमें पूरी सच्‍चाई नहीं है।’

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‘केशव प्रसाद मौर्य ने प्रयागराज में जो कहा, उससे उन्‍होंने एक तीर से दो निशाना साधा। पहला क‍ि प्रदेश सरकार में अब गुंडई नहीं है, दूसरा कि जालीदार टोपी का जिक्र करके उन्‍होंने कहीं न कहीं एक धर्म विशेष और उनके माफि‍याओं पर निशाना साधा। एक तरफ भाजपा के दूसरे नेता जहां विकास और कानून व्‍यवस्‍था को चुनावी बता रहे हैं क‍ि तो वहीं दूसरी ओर केशव प्रसाद लगातार मंदिर, मस्‍जिद और जालीदार टोपी पर बात कर रहे हैं। भाजपा का एजेंडा साफ है, वे विकास और धर्म, दोनों मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे। एक रणनीत‍ि के तहत केशव को इधर लगाया है, जबकि दूसरे नेता शिलान्‍यास कर रहे, विकास योजनाओं का लोकार्पण कर रहे हैं।’

काशी विद्यापीठ से संबंधित एक कॉलेज में राजनीत‍ि शास्‍त्र के प्रोफेसर कमलेश राय का भी मत संजय श्रीवास्‍तव से मिलता-जुलता है।

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वे कहते हैं, ‘केशव मार्य ने कहा क‍ि सपा सरकार में जो गुंडे माफिया जालीदार टोपी लगाए रखते थे, वह अब उसको जेब में रखकर लाल टोपी लगाए हुए हैं, गांव और नगर की जनता को पता है कि वो अभी ही डराने और धमकाने लगे हैं, ऐसे में उन्हें यही जनता जवाब देगी। इस बयान को बार-बार पढ़ि‍ए, केशव ने इशारा किया क‍ि सपा की सरकार में जालीदार टोपी के लोग गुंडे माफिया थे। उन्‍होंने एक धर्म विशेष पर निशाना साधा।’

‘पूर्वांचल के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी और उनके बेटे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये। एक समय अखिलेश यादव अपनी स्वच्छ छवि की चिंता के लिए मुख्तार अंसारी परिवार के सपा में शामिल होने पर अपने चाचा शिवपाल यादव से भिड़ गये थे, तब उन्‍हें अपनी इमेज की चिंता थी। केशव ने इस ओर भी इशारा किया। वे ये साब‍ित करने में लगे हैं क‍ि सपा किसे पसंद करती है। भाजपा इस बार भी अपनी पुरानी रणनीत‍ि पर ही चुनाव लड़ेंगी। केंद्र में धर्म और धर्म विशेष के लोग ही रहेंगे।’ कमलेश अपनी बात खत्‍म करते हुए कहते हैं।

प्रयागराज में उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य। फाइल फोटो