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पर्यावरण बचाने के लिए कराई गई दो पेड़ों की अनोखी शादी

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छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में पर्यावरण को बचाने के लिए स्कूल के प्रधान पाठक ने दो पेड़ों की शादी कराकर एक अनूठा प्रयास किया है. पूरे हिंदू रीति रिवाज के साथ हुई इन दो पेड़ों की शादी का पूरा गांव साक्षी बना है. गाजे-बाजे के साथ बारात निकाली गई, जिसमें स्कूली बच्चे और गांव वाले बाराती बने थे. इस तरह एक शिक्षक ने दो पेड़ों की शादी कराकर पिता होने का भी दायित्व निभाया.
आपको बता दें कि जांजगीर चांपा जिले के शिक्षक दीनानाथ देवांगन ने बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण को बचाने के लिए जो कार्य किया है, उसकी हर तरफ सराहना की जा रही है. दरअसल, जांजगीर चांपा जिले के बलौदा ब्लॉक के ग्राम चारपारा स्कूल में प्रधान पाठक के पद पर पदस्थ दीनानाथ देवांगन ने दो कटहल के पेड़ों की शादी कराकर पर्यावरण बचाने के लिए एक अनूठा प्रयास किया है.
उनके इस अजब गजब और अनूठे प्रयास की चर्चा पूरे जांजगीर-चांपा जिले समेत प्रदेशभर में गूंज रही है. दीनानाथ देवांगन ने बताया कि उन्होंने 7 वर्ष पहले स्कूल परिसर में दो कटहल के पौधे लगाए थे. वो रोज उन्हें पानी और उनकी सेवा करते थे. वे उन पौधों को बिलकुल अपने परिवार का ही एक सदस्य मानते थे. अब वे पौधे बड़े वृक्ष का रूप धारण कर चुके हैं. उसमें फल भी लगने लगे हैं. इस दौरान दीनानाथ को यह चिंता सताने लगी थी कि रिटायरमेंट के बाद इन पेड़ों का क्या होगा ? कहीं कोई उन्हें काट न दे. इस डर से उन्होंने इसकी सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक करने सोची.
इसके बाद दीनानाथ ने जब अपनी यह इच्छा अपने सहकर्मियों को बताई, तो वो भी इसके लिए तैयार हो गए. पर्यावरण को बचाने के लिए और लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से दो पेड़ों की शादी कराने का फैसला किया. इसी क्रम में बीते 25 अप्रैल को पूरे हिंदू रीति रिवाज और विधि विधान के साथ पंडित बुलवाकर दोनों पेड़ों की शादी करा दी.

 विवाह दो कटहल के पेड़ों का था, जिसमें दूल्हे का नाम जैक रखा गया था, तो वहीं दुल्हन का नाम पनस रखा गया था. इस तरह जैक और पनस की विवाह में शामिल होने के लिए पूरा गांव उमड़ा था. इस विवाह में गाजे-बाजे के साथ बारात निकले. इतना ही नहीं इस विवाह में पीहर गीत भी गाए गए और प्रीतिभोज भी हुआ.
बहरहाल, दो पेड़ों के इस विवाह के माध्यम से पर्यावरण सुरक्षा का एक बड़ा संदेश छोड़ गया है. जहां लोग आज बेतहाशा पेड़ों की कटाई कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वहीं एक आम आदमी के लिए पेड़ को पुत्र या पुत्री मानना अपने आप में मिसाल से कम नहीं है.