Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

UP Chunav: तो क्या फिर बीजेपी के साथ आएंगे राजभर? बंद कमरे की मीटिंग के बाद लग रहे कयास

हालांकि बंद कमरों में क्या बात हुई यह बात सामने नहीं आ पाई है।सूत्रों के मुताबिक ओमप्रकाश ने कुछ शर्तें रखी हैं। बीजेपी और सुभासपा ने 2017 में गठबंधन से चुनाव लड़ा था।लखनऊ
भारतीय चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। ऐलान के बाद से ही सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने राजनीतिक समीकरणों को दुरुस्त करने की कवायत तेज कर दी है। इसी कड़ी में यूपी में बीजेपी एक बार फिर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को अपने पाले में लाने की तैयारी में है। इस बात को हवा इसलिए भी मिली क्योंकि बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ने शनिवार को एक बार फिर ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात की।

हालांकि बंद कमरों में क्या बात हुई यह बात सामने नहीं आ पाई है पर कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी ओम प्रकाश राजभर को अपने खेमे में फिर से शामिल करना चाहती है। इस बाबत बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने राजभर से तीन दौर की बात की है।

Atiq Ahmad News: माफिया अतीक अहमद के बेटे अली ने दी आत्मसमर्पण की अर्जी, अदालत ने थाने से मांगी रिपोर्ट

बीते साल ओमप्रकाश ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह से मुलाकात भी की थी। लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी थी। पार्टी ने अब एक बार फिर राजभर को अपने पाले में लाने की कोशिशें शुरू की हैं। पार्टी उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने ओमप्रकाश से बीते दिनों तीन बार मुलाकात की है। सूत्रों के मुताबिक ओमप्रकाश ने कुछ शर्तें रखी हैं। उनकी शर्तों पर पार्टी विचार कर रही है। दयाशंकर का कहना है कि उनकी ओमप्रकाश से मुलाकात हुई है, लेकिन गठबंधन पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।

साल 2017 में बीजेपी के साथ गठबंधन में थे राजभर
बीजेपी और सुभासपा ने 2017 में गठबंधन से चुनाव लड़ा था। सुभासपा को 8 सीट मिली थीं जिसमें से उसने 4 सीटें जीती थी। बीजेपी ने सरकार बनने पर ओमप्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री भी बनाया था। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सुभासपा एनडीए से अलग हो गई। पूर्वांचल के कुछ जिलों में सुभासपा का काफी प्रभाव है। बीजेपी को भी कुछ सीटों पर सुभासपा की ताकत का अहसास है। लिहाजा एक-एक सीट पर जीत की गहन रणनीति रच रही बीजेपी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है।

इन शर्तों को रखने के बाद अलग हुए थे राजभर
ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी से अलग होने से पहले कई शर्तें रखी थी। सबसे बड़ी शर्त यह रखी कि भाजपा पिछड़ी जाति से किसी नेता को मुख्यमंत्री चेहरा बनाए। भाजपा इन मांगों को पूरा करने के लिए आगे आती है तो वह उनके साथ हैं। ओम प्रकाश राजभर ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात की थी। इस मुलाकात को भी गठजोड़ से जोड़कर ही देखा जा रहा था।