आगरा जिले में भाजपा के पांच विधायकों का पत्ता कटने से पार्टी में असंतोष बढ़ा है। कोई खुलकर तो नहीं बोल रहा लेकिन अंदरखाने हर कोई अपनी-अपनी चाल रहा है। ऐसे में भाजपा के सामने पिछला प्रदर्शन दोहराना चुनौती से कम नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सामने आगरा जिले की नौ सीटों पर पिछला प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती है। बागियों के तेवर इस चुनौती को और मुश्किल बना रहे हैं। पहली बार के पांच विधायकों का पत्ता कटने के बाद भाजपा को विपक्ष से ज्यादा खतरा बागियों से हो सकता है। वहीं सपा और रालोद के गठबंधन में भी बगावत के आसार हैं।
जिले में नौ सीटों पर पाले खिंच चुके हैं। 2017 में भाजपा को ऐतिहासिक सफलता मिली थी। सभी नौ सीटें जीती थीं। 2022 में राह और राही दोनों ही बदल गए हैं। ऐसे में भाजपा को भाजपा से ही चुनौती मिल रही है। एत्मादपुर, फतेहपुर सीकरी, खेरागढ़, ग्रामीण और फतेहाबाद क्षेत्र में भाजपा ने प्रत्याशी बदल दिए हैं। वर्तमान विधायकों का टिकट काटा गया है।
जिन्हें टिकट मिला है उन्हें लेकर दावेदारों और समर्थकों में असंतोष है। आगे की रणनीति के लिए गांवों में चौपालें हो रही हैं। संगठन से जुड़े कुछ नेता खुलकर नहीं बोल रहे हैं तो कुछ सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। यही, बात संगठन के लिए चिंता का सबब है, क्योंकि खुलकर सामने नहीं आने वालों से खतरा ज्यादा है। कई बागी निर्दलीय मैदान में उतर सकते हैं। टिकट से वंचित कई दावेदार विपक्ष से संपर्क साध रहे हैं।
पिछला चुनाव हारे, अब भाजपा के सहारे
एत्मादपुर सीट पर 2017 में भाजपा के रामप्रताप सिंह ने बसपा के डॉ. धर्मपाल सिंह को हराया था। इस बार भाजपा ने रामप्रताप का टिकट काट कर धर्मपाल को प्रत्याशी बनाया है। खेरागढ़ में भाजपा प्रत्याशी महेश गोयल ने बसपा प्रत्याशी भगवान सिंह कुशवाह को हराया था। इस बार भाजपा ने महेश गोयल की जगह भगवान सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है।
सभी एकसाथ मिलकर काम करेंगे
भाजपा के जिलाध्यक्ष गिर्राज कुशवाह ने कहा कि विपक्ष को हमने कभी चुनौती नहीं माना है। जो कार्यकर्ता व पदाधिकारी टिकट नहीं मिलने से नाराज हैं उन्हें मना लिया जाएगा। सभी एक साथ मिलकर काम करेंगे। मैं असंतुष्ट लोगों से रोज मिल रहा हूं, उनके बराबर संपर्क में हूं।
गठबंधन में भी बगावत के आसार
सपा-रालोद गठबंधन में तीन सीट रालोद के खाते में गई हैं। ग्रामीण सीट से पूर्व विधायक रहे कालीचरन सुमन की जगह रालोद ने नए चेहरे पर दांव लगाया है। इधर, पूर्व विधायक ने टिकट के लिए पार्टी पदाधिकारी पर रुपये मांगने के आरोप लगाए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में एक अन्य दावेदार भी खफा है। ऐसे में अंदरखाने गठबंधन में भी बगावत के आसार हैं।
विस्तार
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सामने आगरा जिले की नौ सीटों पर पिछला प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती है। बागियों के तेवर इस चुनौती को और मुश्किल बना रहे हैं। पहली बार के पांच विधायकों का पत्ता कटने के बाद भाजपा को विपक्ष से ज्यादा खतरा बागियों से हो सकता है। वहीं सपा और रालोद के गठबंधन में भी बगावत के आसार हैं।
जिले में नौ सीटों पर पाले खिंच चुके हैं। 2017 में भाजपा को ऐतिहासिक सफलता मिली थी। सभी नौ सीटें जीती थीं। 2022 में राह और राही दोनों ही बदल गए हैं। ऐसे में भाजपा को भाजपा से ही चुनौती मिल रही है। एत्मादपुर, फतेहपुर सीकरी, खेरागढ़, ग्रामीण और फतेहाबाद क्षेत्र में भाजपा ने प्रत्याशी बदल दिए हैं। वर्तमान विधायकों का टिकट काटा गया है।
जिन्हें टिकट मिला है उन्हें लेकर दावेदारों और समर्थकों में असंतोष है। आगे की रणनीति के लिए गांवों में चौपालें हो रही हैं। संगठन से जुड़े कुछ नेता खुलकर नहीं बोल रहे हैं तो कुछ सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। यही, बात संगठन के लिए चिंता का सबब है, क्योंकि खुलकर सामने नहीं आने वालों से खतरा ज्यादा है। कई बागी निर्दलीय मैदान में उतर सकते हैं। टिकट से वंचित कई दावेदार विपक्ष से संपर्क साध रहे हैं।
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