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Akhilesh Yadav: अखिलेश यादव ने पुरानी पेंशन योजना बहाली को बनाया बड़ा चुनावी मुद्दा, इतने लाख कर्मचारी होंगे लाभान्वित?

वेद नारायण मिश्रा, मऊ: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Vidhansabha Chunav 2022) का संग्राम अपने चरम पर पहुंचता दिख रहा है। अब तक प्रदेश में बेरोजगारी, बिजली, किसान, स्वास्थ्य और शिक्षा ही मुद्दे में शुमार थे, लेकिन गुरुवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के साथ ही इसे एक बड़ा मुद्दा बनाकर दांव चल दिया है।

लाखों शिक्षक और कर्मचारी होंगे प्रभावित
यह एक ऐसा मुद्दा है, जिससे प्रदेश के लगभग 28 लाख कर्मचारी, शिक्षक और पेंशनर्स जुड़ते हैं। इनकी संख्या लगभग 28 लाख है, लेकिन यह ऐसा वर्ग है, जो समाज को दिशा देने का काम करता है, अगर यह वर्ग समाज न सही अपने परिवार की सहमति बना लेता है तो यह संख्या लगभग एक करोड़ की हो जाएगी। इसी को देखते हुए अखिलेश यादव ने पुरानी पेंशन बहाली का बड़ा दांव खेला है।

वादों के दांव में आगे निकली सपा
विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी ने इस बार बड़े मुद्दे चुने हैं। समाजवादी पार्टी ने पहले ही 300 यूनिट घरेलू बिजली को मुफ्त करने का ऐलान कर दिया है। उसके बाद सभी सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को बहाल करने का बड़ा दांव चल दिया है। अखिलेश यह भली भांति जानते हैं कि चुनाव कराने के लिए राज्य कर्मचारी चुनावी तंत्र में सबसे मजबूत स्तंभ बनकर खड़े रहते हैं, चाहे वह सरकारी अध्यापक हो, लेखपाल हो, सिपाही हो या अधिकारी वर्ग हो, लेकिन इतना साफ है कि अखिलेश यादव का यह बड़ा दांव कर्मचारियों और शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। अब यह मुद्दा कितना असरदार होगा और चुनाव को किस ओर ले जाएगा, इसके लिए 10 मार्च का इंतजार करना होगा।

योगी सरकार ने भी बनाई थी 2018 में कमेटी
राज्य कर्मियों ने 2018 में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर एक बड़ा आंदोलन लखनऊ में किया था, जिसके लिए 2018 के दिसंबर महीने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कमेटी का गठन करते हुए पुरानी पेंशन के बहाली पर विचार कर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा था, लेकिन आंदोलन और हड़ताल समाप्त होने के साथ ही यह मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला गया।

काफी दिनों से राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों की थी मांग
पुरानी पेंशन बहाली को लेकर राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों ने काफी बार सरकार से मांग की थी। हड़ताल और धरना प्रदर्शन भी किया, लेकिन सरकार ने हर बार आश्वासन देकर छोड़ दिया। कर्मचारियों और शिक्षकों का मानना है कि आज तक इस मुद्दे पर कोई भी विधायक, मंत्री और सांसद नहीं बोला, क्योंकि वह खुद पेंशनभोगी हैं और जीवन भर पेंशन और अन्य सुविधाएं लेते हैं, लेकिन 30 से 35 साल तक सेवा करने के बाद भी कार्मिकों को पेंशन देने की बात पर वे पीछे हट जाते हैं।

2005 में बंद हुई थी पुरानी पेंशन
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के केंद्र सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद के नियुक्तियों के लिए पुरानी पेंशन को बंद कर दिया था और नई पेंशन योजना लागू की गई थी, उस समय उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सपा सरकार थी। केंद्र सरकार ने नई पेंशन योजना लागू की, लेकिन इसे राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं किया था। इसके बावजूद धीरे-धीरे अधिकतर राज्यों ने इसे अपना लिया। उस समय के कर्मचारी इस नई पेंशन योजना को समझ नहीं पाए, उन्हें ऐसा लगा था, जैसे यह योजना सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पुरानी पेंशन योजना से ज्यादा लाभ देगी, लेकिन उनका यह भ्रम टूट गया। पिछले कुछ सालों से नई पेंशन योजना का विरोध कर्मचारियों ने करना शुरू कर दिया।

क्या इस घोषणा से राजनीति के बड़े खिलाड़ी बनेंगे अखिलेश?
विधानसभा चुनाव के समर में राजनीति के पिच पर अखिलेश यादव ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर रहे हैं। लगातार छक्के पर छक्के जड़ते जा रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही 300 यूनिट बिजली फ्री करने के वादे किए थे, उसके बाद अब पुरानी पेंशन बहाली का दांव चल दिया है। अखिलेश यादव ने गेंद विरोधियों के पाले में डाल दी है। अब देखना यह होगा की पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर भाजपा, कांग्रेस और बसपा क्या रुख अपनाते हैं और अपने घोषणा पत्र में शामिल करते हैं अथवा नहीं, लेकिन इतना तय है कि जहां पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सभी दल चुप्पी साधे हुए थे तो वहीं इस मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में शामिल करते हुए अखिलेश यादव ने जो दांव चला वह शिक्षकों और कर्मचारियों में चर्चा का विषय तो बना ही हुआ है, साथ ही राजनीतिक माहौल गरमा भी दिया है। शिक्षकों और कर्मचारियों का इस पर क्या रुख रहता है, यह 10 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजे ही बताएंगे?