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कांग्रेस-आजादी गैंग-अलगाववाद और पाकिस्तान में गजब की टैलीपैथी

आज हुये सोफिया एंकाउंटर में ५ आतंकवादी ढ़ेर कर दिये गये। इनमें से एक कश्मीर विश्वविद्यालय का प्रोफेसर  रफ ीक भट्ट  भी है जो दो दिन पूर्व ही हिजबुल में शामिल हुआ था।
प्रोफेसर की मौत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया- ”दुखद, यह कश्मीर में हिंसा और अलगाव के समाधान के लिए विकास और रोजगार का दावा करने वाले लोगों के लिए भी एक जवाब है। यह कश्मीर की अनवरत जारी त्रासदियों में जुड़ी एक और त्रासदी है।ÓÓ
उमर अब्दुल्ला के उक्त वक्तव्य के ठीक विपरीत सरकार की धारणा है कि बेरोजगारी और अशिक्षा युवकों को आतंकवाद की ओर ढकेल रही है इसलिये शिक्षा को बढ़ावा देकर रोजगार उपलब्ध कराना ही आतंकवाद को रोकने का उपाय है।
सरकार अब कश्मीर के पत्थरबाजों को नौकरी-पेशे के रास्ते पर लायेगी. राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनसीडीसी) मामूली अपराधों में लिप्त युवाओं और गंभीर अपराधों के सजायाफ्ता दोषियों के परिजनों को रोजगार दिलाने के लिये अगस्त 2017 में शुरू किये गये पायलट प्रोजेक्ट की दिल्ली में कामयाबी के बाद अब इसे कश्मीर सहित अन्य राज्यों में आगे बढ़ायेगा।
आतंकवादियों से मुठभेड़ कर रही सेना पर पत्थर फेंकने वालों को फारूख अब्दुल्ला देशभक्त की संज्ञा दिये हैं। पाक फंडेड अलगाववादी हुर्रियत के पीछे-पीछे चलने का आव्हान उन्होंने अपनी नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के लोगों से कहा था। उमर अब्दुल्ला की भी सोच इसी प्रकार की रही है।
जब बच्चों की स्कूल को जलाया जा रहा था उस समय इस घृणित राष्ट्रविरोधी कार्य के विरोध में एक शब्द भी इन नेताओं के पास नहीं थे।
अभी दो तीन दिन पूर्व स्कूल के छोटे बच्चों को स्कूल ले जा रही बस पर भी पत्थर बरसाये गये इससे कुछ बच्चे गंभीर रूप से घायल हुये थे।
सुरक्षाबलों की कार्रवाई से बौखलाए आतंकी, बारामूला में 3 युवकों की हत्या ५-६ दिन पूर्व कर दी गई थी। इसके विरोध में कश्मीर  की महिलाओं सहित सभी लोगों ने जगह-जगह जुलुस निकालकर विरोध प्रकट किया है और आतंकवाद के विरूद्ध नारे लगाये हैं। इसका वीडियो भी पुलिस की ओर से जारी किया गया है।
यह एनआईए की जांच रिपोर्ट से जारी हो चुका है कि पाक फंडेड हुर्रियत के द्वारा पैसे का लालच देकर गरीब युवकों को पत्थरबाजी की ओर ढकेला जा रहा है। यदि इन्हें शिक्षा और  रोजगार उपलब्ध कराया जाये तो ये आतंकवाद के विरूद्ध आवाज बुलंद करेंगे।
लंदन से एक बयान में अब्दुल्ला ने कहा, ”मैं स्थानीय अखबारों में से एक में छपे गुलाम नबी आजाद के बयान को लेकर व्यथित हूं जो संकेत करता है कि गुरु की फांसी में मैं भी शामिल था। यह एक बहुत ही बचकाना और झूठों से भरा हुआ आरोप है।ÓÓ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”हम दोनों ही कैबिनेट का हिस्सा थे और मैंने स्पष्ट शब्दों में इस फांसी की निंदा की थी।ÓÓ
गुलाम नबी आजाद के लिए राज्यसभा सीट को सुरक्षित करने के लिए आखिरी वोट प्राप्त करना आवश्यक था, जो संसद के ऊपरी सदन में विपक्ष के नेता हैं। कांग्रेस के पांच विधायक ने लिखित रूप से यह स्वीकार किया कि कांग्रेस ने अफजल गुरू को फंासी देकर अन्याय किया है।
निर्दलिय जिन्होंने कांग्रेस को अपने वोट के लिए ऐसा बयान देने में मजबूर किया, इंजी. रशीद था। जीत के साथ फ्लश, श्री रशीद ने श्री आजाद के लिए अपना वोट डालने से पहले राज्य विधानसभा में बयान पढ़ा।
श्री रशीद ने कहा, ”यह संदेश लोगों को यह बताएं कि कांग्रेस, जो अफजल को फांसी दे चुकी है, आज स्वीकार कर रही है कि उन्होंने अन्याय किया है।ÓÓ
गुलाम नबी आजाद, उमर अब्दुल्ला के लिये अफजल गुरू अफजल गुरूजी थे। इसी प्रकार से कांग्रेस के प्रवक्ता सुरजेवाला ने भी अपने प्रेस वार्ता के समय श्री अफजल गुरू कहकर संबोधित किया था। इससे स्पष्ट है कि इन नेताओं और पार्टियोंं की दिशा किस तरफ है। किस प्रकार से ये अलगाववाद को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
यह अलगाववाद की आग कांग्रेस और अन्य मुस्लिम  तुुष्टिकरण की नीति अपनाने वाले नेताओं द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी, जेएनयू होते हुये कर्नाटक तक फैला दी गई है। कश्मीर जैसे ही कर्नाटक के लिये अलग झण्डे का प्रदर्शन कांग्रेस के मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है।
मुस्लिम तुष्टिकरण के लिये अलगाववादी हिंसात्मक गतिविधि करने वाली पीएफआई को प्रोत्साहन देने के लिये कांग्रेस द्वारा वहॉ अनेक उपाय किये गये हैं। टीपू जयंती भी उसी का एक उदाहरण है। अब कांग्रेस से प्रोत्साहन पाकर पाकिस्तान भी टीपू जयंती का आयोजन कर रहा है।
देश को विभाजित करने वाले जिन्ना की फोटो अलीगढ़ युनिवर्सिटी में लगी हुई है। जिन्ना के जिन्न को अलीगढ़ से दिल्ली तक पहुंचा दिया गया है। वहॉ से अब राहुल गांधी के गुरू भाई मणिशंकर अय्यर लाहौर युनिवर्सिटी में भाषण देकर पहुंचा दिया है।
एएमयू में भी जेएनयू जैसे लगे हैं आजादी-आजादी के नारे। अफजल गुरू का शहीदी दिवस जेएनयू में जब मनाया गया था उस समय कन्हैय्या कुमार, उमर खालिद आदि की उपस्थिति में आजादी के नारे लगे थे। उस समय जो स्पष्टीकरण इन छात्र नेताओं ने दिये थे उसी प्रकार का स्पष्टीकरण एएमयू के अधिकारी भी आज देकर अपने आपका झूठा बचाव कर रहे हैं।
जेएनयू के छात्र नेताओं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर पीठ थपथपाने के लिये केजरीवाल वामपंथी नेताओं के साथ राहुल गांधी भी पहुंच गये थे। इससे स्पष्ट है कि  कांग्रेस-आजादी गैंग-अलगाववाद और पाकिस्तान में गजब की टैलीपैथी है।