Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

1929 में राजा महेंद्र प्रताप ने 3.04 एकड़ जमीन एएमयू को दी थी यही युनिवर्सिटी अब बनी भष्मासुर

विवादों से नाता- एएमयू कई मुद्दों को लेकर विवादों में रहा है. हाल ही में एबीवीपी राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जयंती एएमयू के गेट पर मनाने के लिए अड़ गया था. एबीवीपी का कहना था कि एएमयू के लिए राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी जमीन दान दी थी और उनकी जयंती बनाई जानी चाहिए. बताया जाता है कि 1929 में राजा महेंद्र प्रताप ने 3.04 एकड़ जमीन इस विश्वविद्यालय को दे दी थी।
अब यही एएमयू अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी  भष्मासुर का रूप धारण कर अर्थात द्विराष्ट्र सिद्धांत पर चलने को आतुर है।
राष्ट्रवादी राजा महेन्द्र प्रताप सिंह हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक रहे हैं। उनके इसी एकता की भावना के लिये यह अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भष्मासुर बन चुकी है।
दान दी गई जमीन पर पर एएमयू बनी। सर सैय्यद अहमद खां द्वि राष्ट्र के सिद्धांत पर (टू नेशन थ्योरी) चलकर जिन्ना के साथी बन गये। सर सैय्यद अखिल भारतीय कांग्रेस को हिन्दुओं की पार्टी कहकर उसके विरूद्ध मुस्लिमों को भड़काने का प्रयास किया।
जिस प्रकार से भगत सिंह को कम्युनिस्ट पार्टियां अपने सिद्धांत वाली बताती हैं उसी प्रकार से वे महेन्द्र प्रताप जी की भी व्याख्या करते हैं।
प्रश्र यह है कि कांग्रेस में और कम्युनिस्ट पार्टियों ने उनकी प्रशंसा में कभी एक शब्द भी कहे और उनकी स्मृति के लिये कभी कुछ प्रयास किये?
भाजपा और विद्यार्र्थी परिषद तथा अन्य राष्ट्रवादी ताकतें यदि कुछ महेन्द्र प्रताप सिंह की स्मृति के लिये प्रयास करती हैं तो वे सांप्रदायिक हो जाते हैं और जिन्ना को महिमामंडित करने वाले अलगाववादी तत्व सेक्युलर बन जाते हैं।
 
बीजेपी ने 1 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर के प्रवेश द्वार पर “जाट राजा” राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जयंती मनाने का जश्न मनाया है, जिसमें सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की तेज प्रतिक्रियाओं को आमंत्रित किया गया था, जिसने इस कदम को “घृणित ईंधन” “।
बीजेपी का दावा है कि जिस भूमि पर एएमयू खड़ा है, वह राजा महेंद्र द्वारा दान किया गया था।
उत्तरप्रदेश राज्य भाजपा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई ने घोषणा की थी २०१४ में कि वह एएमयू अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में “जाट किंग की” जयंती का जश्न मनाएंगे जिसके तुरंत बाद विवाद शुरू हुआ।
”एएमयू सर सैयद दिवस के रूप में अपने संस्थापक की जयंती मनाता है। मुझे उस पर कोई आपत्ति नहीं है। राजा महेंद्र ने विश्वविद्यालय के लिए जमीन दान की, फिर अपने जन्मदिन का जश्न मनाने में क्या नुकसान है,ÓÓवाजपेयी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा था।
इस जाट राजा ने नेताजी से 28 साल पहले बना ली थी ‘आजाद हिंद सरकार!
राजा महेंद्र प्रताप का सही से आकलन इतिहासकारों ने किया होता तो आज राजा को ही नहीं दुनिया हाथरस जिले को और उनकी रियासत मुरसान को भी उसी तरह से जानती, जैसे बाकी महापुरुषों के शहरों को जाना जाता है। आखिर कोई तो बात थी राजा में कि पीएम मोदी ने उदघाटन तो काबुल की संसद में अटल ब्लॉक का किया और तारीफ राजा महेंद्र प्रताप की की, वो भी तब जब राजा खुद को माक्र्सवादी कहते थे, यानी वामपंथी जो आरएसएस के सबसे बड़े विरोधी माने जाते हैं, लेनिन ने उनके क्रांतिकारों विचारों से प्रभावित होकर उन्हें रूस मिलने बुलाया था और राजा को अपनी जो किताब उपहार में दी, उसे वो पहले ही पढ़ चुके थे, टॉलस्टॉयवाद।
विद्यार्थी परिषद द्वारा एएमयू के गेट पर महेन्द्र प्रताप सिंह की जयंती मानने का आयोजन करते हैं और उनकी पोट्रेट एएमयू में लगाने की मांग करते हैं, अब ये ही कम्युनिस्ट पार्टियों और कांग्रेस के नेता इन प्रयासों का विरोध करते हैं।
हमारा अनुरोध है कि सभी राष्ट्रवादी शक्तियों को चाहिये कि वे जिन्ना की फोटो हटवाकर उसके स्थान पर महेन्द्र प्रताप सिंह की फोटो लगवाने का प्रयास करे, समर्थन करे।