Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

एडवाइजरी को धता बताते हुए पंजाब के किसानों ने धान के लिए खेतों में पानी डाला

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

आकांक्षा एन भारद्वाज

जालंधर, 16 मई

हालांकि धान की बुवाई में एक महीने से अधिक का समय बाकी है, लेकिन कुछ किसानों ने पानी और बिजली की बर्बादी की परवाह किए बगैर अपने खेतों में पानी देना शुरू कर दिया है। राज्य सरकार ने 18 से 24 जून तक धान की अलग-अलग रोपाई के लिए राज्य को चार जोनों में विभाजित किया है।

किसानों की कार्रवाई तब भी आती है जब सरकार भूजल की कमी को रोकने की कोशिश कर रही है। यह पूछे जाने पर कि वह अब अपने खेतों में पानी क्यों डाल रहे हैं, एक किसान ने जवाब दिया कि इसका उद्देश्य जमीन को ठंडा करना है। कई जगहों पर खेतों में पानी भरा देखा जा सकता है, जबकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी बिल्कुल भी जरूरत नहीं है।

फार्म यूनियन कार्यकर्ताओं का चंडीगढ़ धरना आज से

धान की बुआई के कार्यक्रम के विरोध में 16 फार्म यूनियनों से जुड़े किसान मंगलवार को चंडीगढ़ में उतरेंगे और उनका ‘पक्का धरना’ शुरू होगा।

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानी (चावल) डॉ बूटा सिंह ढिल्लों ने कहा: “किसानों को इसके बजाय खेत को खुला छोड़ देना चाहिए क्योंकि इस समय उच्च तापमान रोगजनकों को नष्ट करने में मदद करेगा।”

उन्होंने आगे कहा कि भूजल प्रति वर्ष 53 सेमी की दर से नीचे जा रहा है। कृषि विज्ञानी ने कहा, “यह किसानों को कोई उत्पादन नहीं देने वाला है, इसलिए, उन्हें इस तरह की गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए,” अगले 10-15 दिनों में बारिश से खेतों की सिंचाई हो जाएगी।

मुख्य कृषि अधिकारी, जालंधर, डॉ सुरिंदर सिंह ने कहा कि किसानों को “गलत प्रथा” के बारे में बताने के लिए शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें जागरूक करते रहे हैं कि इस समय खेतों में बेवजह पानी देना सही नहीं है।

बीकेयू (दोआबा) के अध्यक्ष मनजीत सिंह राय ने कहा कि किसान जल्दी जमीन तैयार कर रहे थे, लेकिन इसे टाला जा सकता था। उन्होंने कहा, ‘मैं किसानों से अपील करना चाहता हूं कि हमें पानी बचाना है।

#धान का खेत