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लोकशक्ति VS परिवारवाद

आज के कुछ समाचार महत्व के हैं जो २०१९ के चुनाव के मुद्दे क्या होंगे इसका भी संकेत दे रहे हैं।
उड़ीसा में प्रधानमंत्री मोदी जी ने एनडीए सरकार के ४ वर्ष के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करते हुये कहा हमारी सरकार जनपथ से नहीं जनमत से चलती है।
छ.ग. के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने भी कहा है कि उनके लिये विकास यात्रा अर्थात जन-जन के दर्शन करना तीर्थ यात्रा के समान है।
ठीक इसके विपरीत नेहरू-गांधी परिवार के अंध भक्तों के लिय दस जनपथ तीर्थ स्थल है। यह दस जनपथ अस्थाई है। स्थाई निवास तो सोनिया गांधी जी के स्वामित्व का इटली में है। भारत में उनके स्वामित्व का कोई भी निवास नही है।
अपनी हिन्दू विरोधी, इसाई परस्त, मुस्लिम तुष्टिकरण आधारित नीति कांग्रेस की रही है उसे बदलने के लिये राहुल गांधी बहुरूपीये बन गये हैं। उसी प्रकार से आज एक बहुत बड़ा परिवर्तन देखने में आया है कि बसपा की सुप्रीमो मायावती ने अपनी परिवारवादी छवि को मिटाने के लिये अपने भाई अनंत कुमार को बसपा के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया है।
दूसरी इसी से संबंधित घटना यह है कि बसपा ने मायावती को प्रधानमंत्री पद के लिये उम्मीदवार घोषित किया है।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय और उससे भी पूर्व अपनी अमेरिका यात्रा के समय राहुल गांधी भी अपने आपको प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुके है।
अब देखते रहिये ममता, अखिलेश, चंद्रशेखर राव, चंद्रबाबू नायडू, केजरीवाल आदि शनै:शनै: अपनी महत्वकांक्षाओं के  बिल से निकलकर किसी प्रकार से प्रकट होते हैं।
दस वर्षों का यूपीए शासनकाल पिछले दरवाजे से सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी द्वारा ही चलाये जाते रहा है। उनका पूरा शासनकाल हिन्दू विरोधी मुस्लिम तुष्टिकरण और जाति-वर्ग भेद कारक रहा है।
फिरोज खान के पौत्र राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के उपरांत अपनी उक्त छाप को मिटाने के लिये जनेऊधारी ब्राम्हण का रूप धरकर बहुरूपीये बने। वास्तव में यह रूप उन्होंने हिन्दुओं को विभाजित करने के लिये ही रखा है।  उनके निर्देश से सिद्धारमैय्या की सरकार ने लिंगायत को हिन्दू धर्म से अलग करने का प्रस्ताव रखा। हिन्दुओं के अलावा वे देश को भी खंडित करने की दिशा में बढ़ते रहे हैं। सिद्धारमैय्या की सरकार ने कर्नाटक के लिये अलग झण्डा का प्रारूप जनता के समक्ष रखा था। हिन्दी राष्ट्र भाषा के विरूद्ध आंदोलन को प्रोत्साहन दिया था।
आज कांग्रेस की एक प्रेस कांफ्रेंस हुई जिसमें कहा गया कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी देश के लिये हानिकारक है।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी के जोड़ीदार आजादी गैंग है जिसमें मुख्य हैं : कन्हैय्या कुमार, उमर खालिद, हार्दिक पटेल, जिग्रेश, तीश्ता शीतलवाड़ आदि। अब २०१९ के लोकसभा चुनाव में जनता निर्णय करेगी कि उन्हें ये जोड़ीदार पसंद है या मोदी-शाह की जोड़ी।
आज अरूण जेटली ने भी एक वक्तव्य प्रसारित कर कहा है कि अब राजनीतिक बहस मोदी बनाम अराजकतावादी गठजोड़ पर केंद्रित होगी।
भारत में यदि भाजपा को छोड़ दें तो अन्य सभी पार्टियां परिवारवादी पार्टियां हैं। कम्युनिस्ट पार्टी भले ही परिवारवादी नहीं हो परंतु उनका समर्थन परिवारवादी पार्टियों विशेषकर कांग्रेस को ही रहा है। भाजपा विरोध के कम्युनिस्टों ने भी अपने आपको डायनेस्टिक पालिटिक्स में समाहित कर लिया है।
अब यह तो २०१९ लोकसभा चुनाव का परिणाम ही बतायेगा कि लोकशक्ति और परिवारवाद में विजय किसकी होती है?