खेती एवं उद्यानिकी से दुगना लाभ कमाने जैसी बाते अब धीरे-धीरे आम होती जा रही है। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर जिले के किसानपरंपरागत खेती की परिभाषा बदलने मे जुटे हुए है। इस बदलाव से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति बदली है बल्कि जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है।जिले के भैरमगढ़ लंकापारा के किसान रूपधर ने उद्यानिकी विभाग की उन्नत तकनीकी का इस्तेमाल कर अपनी आमदनी मंे वृद्धि कर रहे है। उनकेपास कुल 2.7 हेक्टेयर की जमीन है जिनमें से 0.4 हेक्टेयर में स्थानीय बीजो का क्रय कर सब्जी उत्पादन का कार्य किया करते थे। जिससे उन्हें कमआय लगभग 30 से 35 हजार ही प्राप्त होती थी। वर्ष 2017 से कृषि एवं उद्यानिकी विभाग से जुड़कर उन्होंने तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त किया। उन्होंनेविभाग के मार्गदर्शन से वर्ष 2017-18 मंे सब्जी मिनीकिट योजना के तहत् 0.4 हेक्टेयर क्षेत्र में सब्जी की खेती की जिससे मुख्यतः उन्होंने भिण्डी,लौकी, टमाटर करेला व बैगन की फसल उत्पादन किया जिससे उन्हें अन्य फसल की तुलना में अधिक लाभ हुआ। उरोक्त फसलों के उत्पादन से उन्हेंएक लाख 25 हजार की कुल आय हुई। लागत व्यय कुल 40 हजार अलग किये जाने पर उन्हें 85 हजार रूपये का शुद्ध मुनाफा हुआ। श्री रूपधर का कहनाहै कि वे निरंतर उद्यानिकी विभाग के संपर्क में रहते है और विभाग के उच्च तकनीक व मार्गदर्शन के इस्तेमाल से लगातार अच्छी आय प्राप्त कर रहेहै।
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