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पुनर्वसु नक्षत्र में सावन का 3 सोमवार और हरेली अमावस्या

सावन के तीसरे सोमवार पर 16 साल बाद सोमवती अमावस्या और हरेली अमावस्या का संयोग बना है। सुबह पुनर्वसु नक्षत्र और रात में पुष्य नक्षत्र होने से सोम पुष्य नक्षत्र भी है। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी है। इस संयोग में शिव पूजन करने से विशेष मनोरथ की प्राप्ति होगी। इस दिन हरेली होने से छत्तीसगढ़ी परंपरा के अनुसार हर घर के मुख्य द्वार पर नीम की टहनी लगाई जाएगी। साथ ही किसान अपने खेत-खलिहान में इस्तेमाल किए जाने वाले कृषि औजारों के साथ बैलों की भी पूजा-अर्चना करेंगे। बैलों को नमक, गुड़, मिठाई खिलाने की परंपरा भी निभाई जाएगी।

करें दुग्धाभिषेक, लगाएं चंदन का लेप

कचना रोड स्थित सुरेश्वर महादेव पीठ के संस्थापक स्वामी राजेश्वरानंद सरस्वती के अनुसार सावन के तीसरे सोमवार को शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करना और शिव महामंत्र का उच्चरण करके चंदन का लेप लगाने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होने की मान्यता है।

सावन में पड़ रही सोमवती अमावस्या पर भगवान भोलेनाथ के साथ ही पितृ पूजा करने से पितृ दोष दूर होने की मान्यता है। जाने-अनजाने में जो गलती हो, उसके लिए पितरों से क्षमा मांगनी चाहिए। साथ ही सूर्यदेव को जल अर्पण करके तुलसी पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए।

सोमवती अमावस्या पर नदी स्नान, दान फलदायी

नहरपारा स्थित नीलकंठेश्वर मंदिर के पुजारी पं. नीलकंठ त्रिपाठी के अनुसार वैसे तो हिंदू पंचांग के अनुरूप हर महीने अमावस्या आती है परंतु सोमवार के दिन अमावस्या तिथि का संयोग सालों में एक बार आता है। इस संयोग में पवित्र तीर्थों के दर्शन, नदियों में स्नान करने और जरूरतमंदों, ब्राह्मणों को गोदान, अन्नदान, भोजन, वस्त्र आदि वस्तुओं का दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है।

प्रत्येक सावन सोमवार को राजधानी के छोटे-बड़े मंदिरों में शिवलिंग का अलग-अलग सामग्री और विविध रूपों में श्रृंगार किया जाता है। महादेवघाट हटकेश्वर महादेव के पुजारी पं. सुरेश गिरी गोस्वामी ने बताया कि इस बार तीसरे सोमवार पर हरियाली अमावस्या होने से संपूर्ण मंदिर परिसर को पौधों, पत्तियों, सुगंधित फूलों से सजाकर हरियाली का माहौल दिखाया जाएगा।