भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर डिप्लोमैटिक लेवल पर अगले चरण की बातचीत जल्द होगी। भारत ने गुरुवार को कहा कि दोनों देशों के बीच हुई बातचीत के हिसाब से चीन अपनी सेना को पीछे हटाए। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन की एकतरफा कार्रवाई को भारत किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि एलएसी पर शांति का आधार दोनों देशों के बीच रिश्ते हैं। हमें उम्मीद है कि पूर्वी लद्दाख से चीन ईमानदारी से अपनी सेना पीछे हटाएगा। उन्हाेंने कहा कि वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत डिप्लोमैट लेवल की अगली बैठक जल्द ही होगी।
देश के सम्मान की रक्षा करने में हम सक्षम : विदेश मंत्रालय
श्रीवास्तव ने कहा- हमने साफ किया है कि भारत एलएसी पर हालात का रिव्यू करने और अपने सम्मान की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम एलएसी पर यथास्थिति बदलने के किसी भी एकतरफा कदम को बिल्कुल स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि चीन डिसइंगेजमेंट की प्रोसेस का पूरी तरह पालन करेगा।
चीन ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में 40 हजार जवानों की तैनाती की
एक दिन पहले रिपोर्ट में सामने आया था कि चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव कम करने की कोशिश नहीं कर रहा है। इसके अलावा चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 40 हजार जवानों की तैनाती पूर्वी लद्दाख सेक्टर में जारी है। विवाद वाली जगहों पर चीन का इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। इसके अलावा यहां एयर डिफेंस सिस्टम, बख्तरबंद गाड़ियां और तोपें भी मौजूद हैं।
गलवान में चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर कंटीले तारों से हमला किया था, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं, चीन के 40 से ज्यादा जवान भी मारे गए थे। हालांकि, चीन ने ये कबूला नहीं था।
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