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सरगुजा जिले में रामगढ़ पहाड़ दूर से हाथी की तरह नजर आता है।

Updated: | Mon, 24 Aug 2020 12:40 PM (IST)

सरगुजा में लोग रामगढ़ पहाड़ को हाथी पहाड़ भी कहते हैं। वृहद क्षेत्रफल में फैले इस पहाड़ पर विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला भी स्थित है। यहां आषाढ़ के पहले दिन आयोजन भी होता है। इन दिनों इस पहाड़ की हरियाली और बादलों की अटखेलियां देखते ही बन रही है। रामगढ़ सरगुजा के एतिहासिक स्थलों में सबसे प्राचीन है। यह अम्बिकापुर- बिलासपुर मार्ग में स्थित है। इसे रामगिरि भी कहा जाता है, रामगढ पर्वत बैठे हुए हाथी की सकल का है। इसे दूर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे दूर कोई बहुत बड़े आकार का हाथी बैठा हो। रामगढ भगवान राम व महाकवि कालीदास से सम्बन्धित होने के कारण सोध का केन्द्र बना हुआ है। एक प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान राम भाइ लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वनवास काल मे निवास किए थे। यहीं पर राम के तापस वेस के कारण जोगी मारा, सीता के नाम पर सीता बेंगरगा व लक्ष्मण के नाम पर लक्ष्मण गुफा भी स्थित है। इसी स्थान पर राम के तापस वेश के कारण ‘जोगीमारा’, सीता के नाम पर ‘सीताबेंगरा’ एवं लक्ष्मण के नाम पर ‘लक्ष्मण गुफ़ा’ भी स्थित है। संस्कृत के विद्वान् रामगढ़ को महाकवि कालिदास की ‘रामगढ़ की पहाड़ी’ बताते है, जहां बैठकर उन्होंने अपनी कृति ‘मेघदूत’ की रचना की थी। कालिदास ने ‘मेघदूत’ में रामगढ़ की पहाड़ी के बारे में जैसा लिखा है, उसकी रूपरेखा आज भी वैसी ही दिखाई देती है। यहीं पर विश्व की प्राचीनतम गुफ़ा नाट्यशाला भी स्थित है, इसे ‘रामगढ़ नाट्यशाला’ कहा जाता है।