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पत्थरों पर उकेरे गए चित्रों और शब्दों से बच्चे पढ़ते नजर आते हैं।

यह एक ऐसा स्कूल है, जहां किए गए नवाचारों से जिले के डूडा गांव का सरकारी स्कूल प्रदेशभर में मॉडल बन गया है। स्कूल के शिक्षकों ने शून्य निवेश कर ही शिक्षण प्रक्रिया को रोचक बना दिया है। इससे यहां के बच्चों के शिक्षण स्तर में अप्रत्याशित परिवर्तन हुआ है। प्राइमरी के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी की किताब पढ़ते हैं। बच्चों के सामान्य ज्ञान का स्तर भी उच्च कक्षाओं जैसा है।बाहर से आम सरकारी स्कूल की तरह दिखने वाले डूडा गांव के शासकीय कन्या प्राइमरी स्कूल में हरेभरे पेड़-पौधे भी लहलहा रहे हैं। इन पेड़ों पर शिक्षण सामग्रियां अंकित हैं। विद्यालय के प्रत्येक कोने को ज्ञानवर्धक बनाया है। गांव की आबादी करीब 4000 है। स्कूल में रंग बिरंगे चार्ट भी बनाए गए हैं। शिक्षक संजय कुमार जैन की मेहनत से अब स्कूल को कोना-कोना शिक्षण गतिविधियों से घिरा हुआ है। स्कूल के शिक्षक संजय कुमार जैन ने बताया कि स्कूल परिसर में बड़े-बड़े पत्थर और चट्‌टाने धसी हुई थीं। ये स्कूल की सुंदरता पर धब्बा नजर अाती थीं, लेकिन हम लोगों ने नवाचार करते हुए इन चट्‌टानों पर अंग्रेजी, सामान्य ज्ञान, हिंदी, गीत, गणित सहित अन्य शिक्षण सामग्रियों को रंग-बिरंगे तरीकों से सजाया। इससे बच्चे इस ओर आकर्षित हुए। साथ ही अब खेलते समय भी बच्चे यहां पर पढ़ते हैं।