Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रवैये को चुनौती देने कि लिए अमेरिका चल रहा है ये चाल

दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक गतिविधियों को जवाब देने के लिए अमेरिका रिकॉर्ड संख्या में समुद्री जहाजों की तैनाती करेगा। ऑस्ट्रेलियन रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को जानकारी दी। रक्षा मंत्री मैरिस पायने ने कहा कि 1,587 अमेरिकी समुद्री पोत ऑस्ट्रेलिया में छह महीने की ट्रेनिंग करेंगे। इस कार्यक्रम का नाम फोर्स पोस्चर इनीशियेटिव दिया गया है। पायने ने कहा कि अमेरिकी सेना ने कई दशकों से भारतीय प्रशांत महासागर में सुरक्षा और स्थायित्व मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2011 में शुरु किया गया यह वाशिंगटन की तरफ से दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को जवाब के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बन कर उभरा है।
चीन दक्षिण चीन सगर के एक बड़े हिस्से पर अपना दावा करता आ रहा है जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अहम रूट माना जाता है साथ ही इन क्षेत्रों में तेल, प्राकृतिक गैस का भी अकूत भंडार है। चीन इन क्षेत्रों में आर्टिफीशियल द्वीप, बंदरगाह और हवाई अड्डे का निर्माण कर रहा है। बीजिंग को इसका जवाब देने के लिए अमेरिकी समुद्री पोत ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, फीलीपिंस, सिंगापुर और थाइलैंड को प्रशिक्षित करेंगे। बता दें कि ये सभी देश भी दक्षिण चीन सागर में दावे करते आ रहे हैं।
ऑस्ट्रेलियन थिंक टैंक के निदेशक इयुआन ग्राहम ने कहा कि अमेरिका जो भी करता है चीन की उसपर नजर होगी। और वह ये चाहेगा कि अमेरिका इन एशियाई देशों के साथ काम नहीं करे। दूसरी तरफ बीजिंग उसके समान दावे करने वाले दक्षिण एशियाई देशों के साथ वन-टू-वन बात करना चाहता है। पायने ने कहा कि यूएस मरीन अतिरिक्त सैन्य उपकरण जैसे हेलीकॉप्टर और एफ-18 जेट की भी तैनाती करेगा। इससे सैन्य तैनाती से ऑस्ट्रेलिया-चीन के संबंधों पर भी असर पड़ेगा।
ऑस्ट्रेलिया अमेरिका का ऐसा सहयोगी है जो दक्षिण चीन सागर में अपने दावे नहीं करता है। यह चीन के साथ अपने आर्थिक संबंधों को बेहतर रखने के लिए इस विवाद में न्यूट्रल भूमिका निभाता रहा है। लेकिन जब से ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल ने कहा है कि चीन कैनबरा के मामलों में गलत तरीके से हस्तक्षेप कर रहा है तब से ऑस्ट्रेलिया-चीन के द्विपक्षीय संबंधों में खटास आ गई है। इन आरोपों के बाद बीजिंग में ऑस्ट्रेलिया के प्रति विरोध पैदा हो गया था।