'गुजराती में पहचान पूछते हैं और हिंदी बोलते ही पीटने लगते हैं' – Lok Shakti

Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

'गुजराती में पहचान पूछते हैं और हिंदी बोलते ही पीटने लगते हैं'

बीते एक हफ्ते से गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. लोगों में इस कदर डर है कि कामगार गुजरात छोड़कर घर लौटने लगे हैं. बिहार, यूपी और एमपी आने वाली ट्रेन और बसें भरी हुई हैं. हर जगह डर और खौफ का माहौल है.सोशल मीडिया पर भी खुले तौर पर उत्तर भारतीयों को गुजरात छोड़ने की धमकी दी जा रही है. उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले गंगाराम बताते हैं कि, “मैं अहमदाबाद में काम कर रहा हूं. रात को करीब 25 से 30 बाइक सवार लोग आए और मुझे पीटा, गालियां दी. वो नारे लगा रहे थे कि यूपी वालों को मार डालो. मैंने किसी तरह एक दुकान में छिपकर जान बचाई वहीं, कुबेरनगर में रह रहे उत्तर प्रदेश के रघुदास ने भी उसके साथियों पर हुए हमले का जिक्र करते हुए बताया कि, “पास की बस्तियों से रात के समय गाड़ियों पर कुछ लोग सड़कों पर निकलते हैं और गुजराती में पहचान पूछते हैं. यदि आपने उन्हें हिंदी में जवाब दिया तो पिटाई शुरू कर देते हैं चांदलोडिया इलाके में भी इसी तरह की घटना कुछ दिन पहले सामने आई थी. यहां 23 वर्षीय ऑटोरिक्शा ड्राइवर केदारनाथ जो मूल रूप से यूपी के सुलतानपुर का रहने वाला है. उसने पुलिस को बताया कि करीब 25 लोगों ने चांदलोडिया पुल पर उस पर हमला कर दिया उसने बताया कि नारे लगाते हुए भीड़ सब्जी के ठेले पलट रही थी और लोगों पर हमला कर रही थी. जब केदार ने भागने की कोशिश की तो उसे रोका गया, उसके रिक्शे की विंडशील्ड तोड़ दी गई और उसे पीटा गया एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उत्तर भारतियों को राज्य से भगाने के पीछे वजह जमीन विवाद भी सामने आ रहा है. साबरमती रिवर फ्रंट के जेपी चौल और गोपालदास चौल में रह रहे 17 परिवार उत्तर भारतियों पर हुए हमले के बाद से फरार है दरअसल, यह जगह ठाकोर समाज के लोगों ने कुछ उत्तर भारत से आए मजदूरों को रहने के लिए दी थी, लेकिन कुछ समय बाद वो अपने गांव के लोगों को ले आए और देखते ही देखते पूरी बस्ती उनकी हो गई