करदाताओं को आम बजट में एक बड़ी राहत दी गई है कि अब आयकर विभाग तीन साल से अधिक पुराने प्रकरण नहीं खोल सकता। लेकिन विशेष स्थिति में अगर आयकर विभाग को लग रहा है कि करदाता के पास 50 लाख से अधिक का टैक्स बकाया है तो आयकर अधिकारी 10 साल पुराना केस खोल सकता है।
लेकिन इसमें भी उसे यह ध्यान रखना होगा कि उच्च अधिकारी से इसकी अनुमति ली जाए। इसके बाद ही केस खोला जा सकता है। कर विशेषज्ञों से मिली जानकारी के अनुसार इसके साथ ही बड़ी राहत यह भी दी गई है कि अब डिजिटल लेनदेन की दशा में आडिट की सीमा 10 करोड़ कर दी गई है।
रिवाइज रिटर्न और विलंबित रिटर्न जमा करने की अवधि में कमी किया जा सकता है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि इससे करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी। कारोबार करने वालों को मानसिक तनाव से छुटकारा भी मिलेगा। कार्रवाई के भय से कारोबार भी प्रभावित होता रहा है।
निर्धारण का समय कम कर दिया गया है और नौ माह के भीतर इसका निर्धारण करना प्रस्तावित होगा। पहले यह अवधि 12 माह थी। कर विशेषज्ञों का कहना है कि आयकर में किए गए ये बदलाव करदाताओं के लिए लाभदायक रहेंगे। इसके साथ ही टीडीएस व टीसीएस दोनों प्रावधान लागू होते है तो अब नए नियम के अनुसार केवल टीडीएस प्रावधान लागू होंगे। आम बजट में किए गए इन प्रावधानों को काफी फायदेमंद माना जा रहा है।
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