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एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग, छत्तीसगढ़ में भी वकीलों की हड़ताल का असर

अधिवकताओं को कार्यक्षेत्र में सुरक्षा उपलब्ध कराने और 10 सूत्रीय अन्य मांगों को लेकर मंगलवार को देशभर में अधिवक्ता एक दिवसीय हड़ताल पर रहे। राजधानी रायपुर सहित पूरे प्रदेश में न्यायालयों में इससे कामकाज प्रभावित रहा।

राजधानी रायपुर के जिला न्यायालय परिषर में भी सभी अधिवक्ता धरने पर बैठे रहे। इससे सभी न्यायालयों में काम काज प्रभावित रहा। 10 सूत्रीय मांगे लंबे समय से प्रशासन के समक्ष रखी जा रही हैं।

न्यूनतम दर पर मकान उपलब्ध कराना, 20 लाख तक का पारिवार बीमा, जिला न्यायालयों में लाइब्रेरी की मांग, नए प्रेक्टिशनर अधिवक्ताओं को शुरूआती पांच वर्ष तक स्टायफंड के रूप में 10 हजार स्र्पये प्रतिमाह दिए जाने, अधिवक्ताओं को काम काज के लिए सकारात्मक माहौल उपलब्ध कराने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम में आवश्यक संशोधन, सेवा निवृत्त न्यायाधीशों की तरह ही विभिन्न अधिकरण, प्राधिकरण और फोरम में योग्य व सक्षम अधिवक्ताओं की नियुक्ति और 65 वर्ष से कम उम्र में अधिवक्ता की असमय मौत पर आश्रितों को 50 लाख स्र्पये की आर्थिक सहायता सरकार द्वारा मुहैया कराए जाने की मांग अधिवक्ताओं के द्वारा की गई है।

जिला न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हीतेन्द्र तिवारी ने बताया कि कार्य क्षेत्र में कई तरह के जोखिम होते हैं। अधिवक्ता कतई नहीं चाहते कि न्यायालयीन काम काज प्रभावित हों, लेकिन अपनी सुरक्षा को देखते हुए वकील इस आंदोलन के लिए बाध्य हुए हैं। वकीलों को सुरक्षा प्रदान कराया जाना बेहद जरूरी है। एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के लागू होने से अधिवक्ता निश्चिंत होकर अपना काम काज कर सकेंगे।