उत्तर प्रदेश के भदोही में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के नाम वापसी के दिन मंगलवार को जिले की सियासत में बड़ा उलटफेर हुआ। भाजपा प्रत्याशी अमित सिंह से पार्टी ने समर्थन वापस ले लिया। प्रदेश नेतृत्व के निर्देश पर जिलाध्यक्ष विनय श्रीवास्तव ने इसकी घोषणा की। इससे भाजपा विधायक रविंद्रनाथ त्रिपाठी के भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी को वाकओवर मिलता दिख रहा है। जिले के सबसे बड़े सदन में पहुंचने के लिए करीब महीने भर से सियासत गर्म चल रही थी। भाजपा प्रत्याशी अमित सिंह और भाजपा विधायक रविंद्रनाथ त्रिपाठी के भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी के बीच जद्दोजहद चल रही थी, लेकिन मंगलवार को नाम वापसी के दिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बड़ा फैसला लिया। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के निर्देश पर भाजपा प्रत्याशी अमित सिंह से समर्थन वापस ले लिया गया। जिलाध्यक्ष विनय श्रीवास्तव ने पत्रकारों से बातचीत में इसकी पुष्टि की। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने अमित सिंह से पर्चा वापस लेने के लिए कहा था, लेकिन वह नहीं माने, जिसके कारण यह कार्रवाई की गई।
भाजपा के समर्थन वापस लेने से विधायक के भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी को वाकओवर मिल गया। अब उनका अध्यक्ष बनना करीब-करीब तय है। तीन जुलाई को अध्यक्ष पद के लिए मतदान होना है। माना जा रहा है कि तीन जुलाई को सिर्फ औपचारिकता बाकी रह गई है। बताते चलें कि 1994 में जनपद सृजन के बाद 1995 में जिला पंचायत का गठन हुआ। वर्ष 2010 से 2012 में बसपा की श्यामला सरोज को छोड़ दिया जाए तो 23 साल तक अध्यक्ष की कुर्सी पर सपा का ही कब्जा रहा। सपा प्रत्याशी श्याम कुमारी की ओर से नामांकन न करने का भी फायदा भाजपा विधायक के भाई को मिल रहा है।
उत्तर प्रदेश के भदोही में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के नाम वापसी के दिन मंगलवार को जिले की सियासत में बड़ा उलटफेर हुआ। भाजपा प्रत्याशी अमित सिंह से पार्टी ने समर्थन वापस ले लिया। प्रदेश नेतृत्व के निर्देश पर जिलाध्यक्ष विनय श्रीवास्तव ने इसकी घोषणा की। इससे भाजपा विधायक रविंद्रनाथ त्रिपाठी के भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी को वाकओवर मिलता दिख रहा है।
जिले के सबसे बड़े सदन में पहुंचने के लिए करीब महीने भर से सियासत गर्म चल रही थी। भाजपा प्रत्याशी अमित सिंह और भाजपा विधायक रविंद्रनाथ त्रिपाठी के भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी के बीच जद्दोजहद चल रही थी, लेकिन मंगलवार को नाम वापसी के दिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बड़ा फैसला लिया।
प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के निर्देश पर भाजपा प्रत्याशी अमित सिंह से समर्थन वापस ले लिया गया। जिलाध्यक्ष विनय श्रीवास्तव ने पत्रकारों से बातचीत में इसकी पुष्टि की। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने अमित सिंह से पर्चा वापस लेने के लिए कहा था, लेकिन वह नहीं माने, जिसके कारण यह कार्रवाई की गई।
भाजपा के समर्थन वापस लेने से विधायक के भाई अनिरुद्ध त्रिपाठी को वाकओवर मिल गया। अब उनका अध्यक्ष बनना करीब-करीब तय है। तीन जुलाई को अध्यक्ष पद के लिए मतदान होना है। माना जा रहा है कि तीन जुलाई को सिर्फ औपचारिकता बाकी रह गई है। बताते चलें कि 1994 में जनपद सृजन के बाद 1995 में जिला पंचायत का गठन हुआ। वर्ष 2010 से 2012 में बसपा की श्यामला सरोज को छोड़ दिया जाए तो 23 साल तक अध्यक्ष की कुर्सी पर सपा का ही कब्जा रहा। सपा प्रत्याशी श्याम कुमारी की ओर से नामांकन न करने का भी फायदा भाजपा विधायक के भाई को मिल रहा है।
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