नोएडा
ग्रेटर नोएडा के एक लाख बीस हजार घर खरीदारों की निगाह शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट पर लगी होगी। गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में आदेश दिया था कि नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बिल्डरों से मार्जिनल कास्ट आफ फंड्स बेस्ट लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) की दर से पैसा ले। साथ ही बकाया वसूली भी एमसीएलआर के तहत लेने के आदेश दिए थे।
आदेश दिए कि रिजर्व बैंक की ओर से एमसीएलआर तय की जाए और प्राधिकरण इस दर पर एक फीसदी जोड़कर बिल्डरों से बकाया वसूल करे। पिछले दिनों प्राधिकरण अधिकारियों, बिल्डर प्रतिनिधि व निवेशकों के प्रतिनिधियों ने एक साथ बैठक भी की थी।
…तो तब तक रुकी रहेगी रजिस्ट्री
बैठक में प्राधिकरण ने निवेशकों को बिल्डर की बकाया राशि बताई जिस पर बिल्डर प्रतिनिधि ने कोर्ट के आदेश के तहत बताई राशि से कम बकाया होना बताया। निवेशकों ने बताया कि जब तक बकाया राशि की दर पर स्पष्टता नहीं होगी तब तक रजिस्ट्री रुकी रहेगी।
बकाया राशि पर होगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिल्डर बकाया नहीं जमा कर रहे हैं। कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए जब आवेदन करते हैं, तो प्राधिकरण एनओसी जारी नहीं करता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तय होगा कि बिल्डरों को प्राधिकरण को कितनी बकाया राशि चुकानी है? यह स्थिति साफ होने के साथ बकाया जमा होते ही प्राधिकरण कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कर देगा और रजिस्ट्री शुरू हो जाएंगी।
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