Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

छत्तीसगढ़ की सोयाबीन की खेती अब देश के आठ प्रमुख राज्यों में होगी।

केंद्रीय बीज उप समिति ने इसके लिए मंजूरी दे दी है। ये राज्य छत्तीसगढ़ समेत पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु और आंध्र हैं। सोयाबीन की नई प्रजाति में उत्पादन क्षमता पहले 21 क्विंटल प्रति एकड़ की तुलना में 25 क्विंटल प्रति एकड़ है। साथ ही सोयाबीन से तेल निकलने की मात्रा भी 18 प्रतिशत की जगह 24 से 26 प्रतिशत है। उप समिति ने प्रदेश के कृषि विज्ञानियों द्वारा किए गए अनुसंधान के बाद तैयार की गई दलहन व तिलहन के साथ धान की नौ प्रजातियों को भी खेती के लिए हरी झंडी दी है।छत्तीसगढ़ सोयाबीन टू देश के आठ अन्य राज्यों के मौसम के प्रति अनुकूल भी है। परपंरागत बीज में यह दिक्कत आ रही थी कि खेतों में खड़ी फसल के दौरान ज्यादा बारिश होने पर पौधों के गलने की आशंका बनी रहती थी। नई प्रजाति के पौधों में ज्यादा बारिश को सहने की पर्याप्त क्षमता है। यह फसल 100 दिनों में पककर तैयार हो जाएगी। उत्पादन क्षमता के साथ ही तैलीय गुणों से यह भरपूर है। इंदिरा गांधी कृषि विवि के कृषि विज्ञानी व सोयाबीन विशेषज्ञ डॉ.सुशील नाग का कहना है कि सोयाबीन की नई प्रजाति में अनुकुल परिस्थिति से लड़ने की पर्याप्त क्षमता है। इसके अलावा उत्पादन क्षमता भी बेहतर है। अनुसंधान के बाद तैयार हुई नई प्रजातियां न केवल ज्यादा उत्पादन देने वाली हैं बल्कि इनमें कई ऐसे गुण पहली बार किसान देख सकेंगे जिसकी कल्पना वह अरसे से करते रहे हैं। प्रदेश के कृषि विज्ञानियों द्वारा विकसित की गई छत्तीसगढ़ राइस हाइब्रिड-टू, छत्तीसगढ़ राइस प्रोटीन, बस्तर धान-वन, छिकपिया, प्रोजेटिन राइस, छत्तीसगढ़ चना-टू, छत्तीसगढ़ कुसुम-वन, छत्तीसगढ़ मसूर, छत्तीसगढ़ अलसी हाइब्रिड की अब प्रदर्शन खेती, बीज उत्पादन और व्यावसायिक खेती होगी।