लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर शिवसेना ने ऐसी शर्त रख दी है, जो बीजेपी के लिए आसान नहीं होगी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शिवसेना के नेता और सांसद संजय राउत ने गठबंधन को लेकर कहा कि अगर दिल्ली में बीजेपी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है तो महाराष्ट्र में शिवसेना का मुख्यमंत्री हो.
संजय राउत ने कहा कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. शिवसेना अभी भी अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार है और आज भी हम महाराष्ट्र में बड़ा भाई है. सूत्रों के मुताबिक पश्चिम महाराष्ट्र में शिवसेना की मजबूत स्थिति न होने के चलते यहां के नेताओं ने उद्धव ठाकरे से बीजेपी के साथ गठबंधन करने की मांग की थी. हालांकि शिवसेना के नेता आए दिन भाजपा सरकार पर तंज कसते रहते हैं. गौरतलब है कि पिछली बार 2014 के लोकसभा चुनावों में यहां एनडीए को 6 सीटें मिली थीं.
महाराष्ट्र में गठबंधन को लेकर शिवसेना और बीजेपी में अभी सहमति नहीं बन पाई है, जिसको लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार देर रात उद्धव ठाकरे से फोन पर बातचीत भी की थी. इस चर्चा में उद्धव ने अमित शाह को 1995 साल का युती का फॉर्मूला याद दिलाया. 1995 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना बड़ा भाई था, तब सेना ने विधानसभा की 171 सीटों पर चुनाव लड़ा था और भाजपा ने 117 सीटों पर, लेकिन मौजूदा स्थिती में भाजपा के पास 122 सीट है तो शिवसेना ने 144-144 सीटों का यानी 50-50 फॉर्मूला आगे बढ़ाया.
लोकसभा चुनाव में भी शिवसेना को 1 सीट बढ़ाकर चाहिए, जिसमें पालघर या फिर भिवंडी की लोकसभा सीट शामिल है. कुछ ही महीनों पहले हुए पालघर लोकसभा उपचुनाव में शिवसेना ने भाजपा को जोर का झटका दिया था. हालांकि भाजपा ने यह सीट बहुत ही कम मार्जिन से जीती थी. एनडीए में शामिल पार्टियां एक-एककर भाजपा को अलविदा कह रही है, ऐसे में शिवसेना का एनडीए में नहीं रहना भाजपा के लिए महंगा सौदा साबित हो सकता है.
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