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53 मौतों का हिसाब कौन देगा..गुस्से में शिक्षक बिरादरी

चुनाव ड्यूटी के दौरान शिक्षकों की मौत को लेकर बेसिक शिक्षामंत्री और शिक्षक संघ आमने सामनेराज्य निर्वाचन आयोग ने कहा, चुनाव ड्यूटी में तीन कर्मियों की मौत, दो लखीमपुर खीरी के
लखीमपुर खीरी। चुनाव ड्यूटी के दौरान शिक्षकों की मौत को लेकर सूबे के बेसिक शिक्षामंत्री और शिक्षक संघ आमने-सामने हैं। राज्यमंत्री ने निर्वाचन आयोग के हवाले से सूबे में सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत की बात कही है, जिसमें दो लखीमपुर के हैं। जबकि शिक्षक संगठनों का दावा है कि सिर्फ लखीमपुरखीरी में 55 शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी के दौरान मौत हुई हैं।शिक्षक संगठनों का कहना है कि जनपद में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में 19 अप्रैल को मतदान कराया गया था, जिसके बाद 55 से अधिक शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की मौत हो चुकी हैं, जबकि सौ से अधिक शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी संक्रमित हुए थे, जिसमें कुछ ठीक हो गए, जबकि कुछ की मौतों का सिलसिला अब भी जारी है। वहीं राज्य निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट पर गौर करें तो प्रदेश के अन्य जिलों में सिर्फ एक शिक्षक की मौत हुई है। मंत्री का बयान शिक्षकों के योगदान को नजर अंदाज करने वाला और खेदजनक है। बीएसए के बयान से भी यह साफ है कि तीन से कहीं ज्यादा शिक्षकों की मौत हुई।
इन्होंने अपनों को खोया
राज्यमंत्री का बयान दुर्भाग्यपूर्ण
प्रशिक्षण, मतदान व मतगणना के कारण कोविड-19 से संक्रमित होकर उत्तर प्रदेश में 1600 से अधिक शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की मौत हुई है। इसमें लखीमपुर जनपद में 55 से अधिक शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। इसको तीन संख्या बताने वाला बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुए शिक्षकों की मौत कुछ दिनों के अंतराल पर हुई है, जिससे सभी को अनुग्रह राशि और मृतक आश्रित कोटे से परिजनों को नियुक्ति दी जानी चाहिए। – संतोष मौर्य, जिलाध्यक्ष, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ
संक्रमण पोटैशियम सायनाइड नहीं, जो खाते मौत हो जाए…
ये कोविड-19 महामारी का संक्रमण है, कोई पोटेशियम सायनाइड नहीं, जिसे खाते ही मौत हो जाएगी। कोविड संक्रमण के दुष्प्रभाव कई दिनों बाद शरीर में दिखते हैं, जिन्होंने अपनों को खोया है दर्द केवल वही समझेंगे। सरकार को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए चुनाव ड्यूटी करने के बाद कोविड से मौत का शिकार हुए शिक्षकों के परिजनों को अनुग्रह राशि देनी चाहिए। –

लखीमपुर खीरी। चुनाव ड्यूटी के दौरान शिक्षकों की मौत को लेकर सूबे के बेसिक शिक्षामंत्री और शिक्षक संघ आमने-सामने हैं। राज्यमंत्री ने निर्वाचन आयोग के हवाले से सूबे में सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत की बात कही है, जिसमें दो लखीमपुर के हैं। जबकि शिक्षक संगठनों का दावा है कि सिर्फ लखीमपुरखीरी में 55 शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी के दौरान मौत हुई हैं।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि जनपद में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में 19 अप्रैल को मतदान कराया गया था, जिसके बाद 55 से अधिक शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की मौत हो चुकी हैं, जबकि सौ से अधिक शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी संक्रमित हुए थे, जिसमें कुछ ठीक हो गए, जबकि कुछ की मौतों का सिलसिला अब भी जारी है। वहीं राज्य निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट पर गौर करें तो प्रदेश के अन्य जिलों में सिर्फ एक शिक्षक की मौत हुई है। मंत्री का बयान शिक्षकों के योगदान को नजर अंदाज करने वाला और खेदजनक है। बीएसए के बयान से भी यह साफ है कि तीन से कहीं ज्यादा शिक्षकों की मौत हुई।

हमारे पति सहायक अध्यापक जितेंद्र तिवारी निघासन क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय गदनिया में तैनात थे। चुनाव में ड्यूटी लगने के चलते उन्होंने प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया था, जिसके बाद वह कोरोना संक्रमित हो गए थे। लखनऊ में इलाज के दौरान सात मई 2021 को मौत हो गई थी। तब से विभाग की ओर से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। मृतक आश्रित कोटे से नौकरी के लिए आवेदन किया है। 2015 में नौकरी लगी है, जिससे पेंशन सुविधा भी नहीं है। सरकार को अनुग्रह राशि देने पर विचार करना चाहिए। – अंजलि तिवारी (मृतक शिक्षक की पत्नी)

पिता महेश प्रसाद संविलियन विद्यालय सनिगवां ब्लॉक बेहजम में तैनात थे, जिनकी पंचायत चुनाव में पीठासीन अधिकारी के तौर पर मितौली ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय जम्हौरा में बने मतदान केंद्र पर ड्यूटी लगी थी। मतदान कराने के बाद उनकी तबियत खराब हुई, जिससे बुखार, सांस लेने में दिक्कत और खांसी की शिकायत हुई। 25 अप्रैल 2021 को जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। कोविड की जांच नहीं हो पाई थी, लेकिन सारे लक्षण कोविड के ही थे। इसकी सूचना विभाग को दी थी और अनुग्रह राशि व नौकरी देने की मांग की है।- अभयदीप (मृतक शिक्षक का पुत्र)

प्रशिक्षण, मतदान व मतगणना के कारण कोविड-19 से संक्रमित होकर उत्तर प्रदेश में 1600 से अधिक शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की मौत हुई है। इसमें लखीमपुर जनपद में 55 से अधिक शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। इसको तीन संख्या बताने वाला बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुए शिक्षकों की मौत कुछ दिनों के अंतराल पर हुई है, जिससे सभी को अनुग्रह राशि और मृतक आश्रित कोटे से परिजनों को नियुक्ति दी जानी चाहिए।