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नहीं मिला ब्लैक फंगस का इंजेक्शन, मेरठ से नोएडा खाली हाथ लौट रहे मरीजों के परिजन

नोएडा में ब्लैक फंगस का इंजेक्शन नहीं मिलने से मुश्किलनोएडा से मेरठ पहुंचा परिवार लेकिन यहां भी टूट गई उम्मीदशनिवार को ग्रेटर नोएडा में ब्लैक फंगस के तीन नए मामलेमरीज दिल्ली-एनसीआर के दूसरे इलाकों में करा रहे इलाजनोएडाब्लैक फंगस के इलाज के लिए नोएडा से मेरठ पहुंच रहे मरीजों के परिजन बेहाल हैं। इंजेक्शन की सख्त जरूरत के चलते एक परिवार ने कागजात और पैसों का इंतजाम किया और मेरठ पहुंच गए। हालांकि मेरठ में अफसरों ने कहा कि इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। इससे मरीज के परिजनों की मेहनत और मनोबल दोनों टूट गए। परिजन अपने पेशंट की जान बचाने के लिए इंजेक्शन मुहैया करवाने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं लेकिन सिस्टम की नाकामी के आगे उनकी एक नहीं चल पा रही है।दरअसल ब्लैक फंगस से पीड़ित सुमन राठौर कैलाश अस्पताल में भर्ती हैं। छह दिनों से अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही हैं लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है। उनके बेटे धर्मेंद्र राठौर ने दिल्ली एनसीआर की फार्मेसी में इंजेक्शन खोजे मगर नहीं मिले। इसके बाद वह स्वास्थ्य विभाग पहुंचे। यहां पहले तो जिले में इंजेक्शन उपलब्ध न होने की जानकारी मिली। जब उन्हें पता चला कि गौतमबुद्ध नगर में एडमिट पेशंट को मेरठ में इंजेक्शन मिल रहे हैं तो वह शनिवार को मां के लिए इंजेक्शन लेने मेरठ पहुंचे। मेरठ पहुंचने पर वहां मौजूद ऑफिसरों ने उन्हें इंजेक्शन ना होने की बात कहकर लौटा दिया। धर्मेंद्र ने बताया कि उनकी मां छह दिन से अस्पताल में एडमिट है। मगर अब तक उनके लिए इंजेक्शन का इंतजाम नहीं हो पाया है। दवा न होने पर मरीजों को कर रहे ट्रांसफरजिले में ब्लैक फंगस के केस लगातार बढ़ रहे हैं लेकिन दवाई न होने से मरीजों को डिस्चार्ज किया जा रहा है। शनिवार को ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में तीन नए मामले सामने आए हैं। इन मरीजों में वाइट फंगस के भी बताए जा रहे हैं। दवाई न होने से दिक्कत बढ़ गई है। जिले के प्राइवेट अस्पतालों में दवाई न होने की वजह से कुछ मरीज एनसीआर के अन्य अस्पतालों में इलाज के लिए चले गए हैं।शासन से नहीं मिल रही कोई मदद यथार्थ अस्पताल से छह मरीजों को दवाई न होने से दिल्ली-एनसीआर के सरकारी और निजी अस्पतालों में रेफर किया गया। कुछ मरीजों का इलाज चल रहा है। यथार्थ अस्पताल के डॉ. सुनील बालियान ने बताया कि दवाई की हमारे पास समस्या है, शासन स्तर से कोई मदद नही मिला पा रही है। ऐसे में कुछ मरीजों की स्थिति खराब थी, इसलिए इनको रेफर कर दिया गया है। कुछ मरीजों का इलाज चल रहा है और दवाई के लिए भी प्रयास जारी है।जिम्स के निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि अभी तक हमारे पास दो मरीज हैं। एक मरीज दूसरी जगह इलाज के लिए चला गया है। अन्य मरीजों की जानकारी नहीं है।