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मुख्य आरोपी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार, अन्य आरोप साबित न होने से बरी 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर नगर के चर्चित शास्त्रीनगर में 11वर्षीय स्कूली छात्रा से अप्राकृतिक यौनाचार व हत्या के आरोपी पीयूष कुमार वर्मा को सत्र न्यायालय से मिली आजीवन कारावास व 50 हजार जुर्माने की सजा बरकरार रखी है। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी के खिलाफ हत्या के आरोप के पर्याप्त सबूत हैं। सत्र न्यायालय के फैसले में कोई अवैधानिकता नहीं है। कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ अपील खारिज कर दी है। वहीं दूसरी तरफ घटना की सूचना छिपाने व पीड़िता को अस्पताल न ले जाकर लापरवाही से मौत कारित करने के दो आरोपियों सुधीर कुमार वर्मा उर्फ मुकेश व संतोष कुमार सिंह को बरी कर दिया है।कोर्ट ने कहा है कि घटना के दिन ये शहर से बाहर उन्नाव में थे और घटना की सूचना देने का इन पर विधिक दायित्व नहीं था। इनकी अपील मंजूर कर ली है। इन्हें सत्र न्यायालय ने दस साल की कैद व जुर्माने की सजा सुनाई थी। यह फैसला न्यायमूर्ति एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने दिया है।दर्ज एफआईआर के अनुसार महिला अपनी बेटी को सुबह स्कूल छोड़ कर आई थी। दोपहर में स्कूल की आया खून से लथपथ बेटी को बेहोशी हालत में घर लेकर आई। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने छात्रा को मृत घोषित कर दिया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अधिक खून बह जाने से मौत बताई गई। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और कोर्ट ने 32 गवाहों व 40 दस्तावेजों के आधार पर पीयूष कुमार वर्मा को अप्राकृतिक यौनाचार व हत्या का दोषी करार दिया। अन्य आरोपियों को पीड़िता के प्रति लापरवाही बरत मौत के मुंह में ढकेलने सहित अन्य आरोपों में सजा सुनाई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर नगर के चर्चित शास्त्रीनगर में 11वर्षीय स्कूली छात्रा से अप्राकृतिक यौनाचार व हत्या के आरोपी पीयूष कुमार वर्मा को सत्र न्यायालय से मिली आजीवन कारावास व 50 हजार जुर्माने की सजा बरकरार रखी है। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी के खिलाफ हत्या के आरोप के पर्याप्त सबूत हैं। सत्र न्यायालय के फैसले में कोई अवैधानिकता नहीं है। कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ अपील खारिज कर दी है। वहीं दूसरी तरफ घटना की सूचना छिपाने व पीड़िता को अस्पताल न ले जाकर लापरवाही से मौत कारित करने के दो आरोपियों सुधीर कुमार वर्मा उर्फ मुकेश व संतोष कुमार सिंह को बरी कर दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि घटना के दिन ये शहर से बाहर उन्नाव में थे और घटना की सूचना देने का इन पर विधिक दायित्व नहीं था। इनकी अपील मंजूर कर ली है। इन्हें सत्र न्यायालय ने दस साल की कैद व जुर्माने की सजा सुनाई थी। यह फैसला न्यायमूर्ति एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने दिया है।

दर्ज एफआईआर के अनुसार महिला अपनी बेटी को सुबह स्कूल छोड़ कर आई थी। दोपहर में स्कूल की आया खून से लथपथ बेटी को बेहोशी हालत में घर लेकर आई। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने छात्रा को मृत घोषित कर दिया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अधिक खून बह जाने से मौत बताई गई। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और कोर्ट ने 32 गवाहों व 40 दस्तावेजों के आधार पर पीयूष कुमार वर्मा को अप्राकृतिक यौनाचार व हत्या का दोषी करार दिया। अन्य आरोपियों को पीड़िता के प्रति लापरवाही बरत मौत के मुंह में ढकेलने सहित अन्य आरोपों में सजा सुनाई थी।