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उत्तर प्रदेश चुनाव: उम्मीदवारों के चयन से भाजपा दूर करेगी ब्राह्मणों-जाटों की नाराजगी, पहले चरण से ही बढ़त बनाने की रणनीति

उत्तर प्रदेश के बेहद अहम चुनाव में भाजपा बड़ी संख्या में नए उम्मीदवार उतार सकती है। इसके जरिए सरकार के खिलाफ उपजे आक्रोश को कम करने के साथ ही जातीय-सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश की जाएगी। पार्टी ब्राह्मणों-जाटों को बड़ी संख्या में टिकट देकर इनकी नाराजगी कम करने की कोशिश करेगी, तो महिलाओं को पर्याप्त संख्या में टिकट देकर वह कांग्रेस की रणनीति को भी कमजोर करने का काम करेगी। नए उम्मीदवारों की संख्या एक तिहाई से ज्यादा हो सकती है।

उत्तर प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, सभी विधानसभाओं की चुनाव समितियों से उस क्षेत्र के तीन-तीन उम्मीदवारों के नाम राज्य इकाई के पास आ चुके हैं। सोमवार को इन नामों पर चर्चा के बाद इन्हें स्वीकृति या बदलाव के साथ केंद्रीय इकाई को भेज दिए जाएंगे। संभावना है कि मंगलवार को पार्टी का संसदीय बोर्ड इन नामों पर विचार कर अंतिम नामों की स्वीकृति दे देगा। पहले चरण के उम्मीदवारों के नाम सबसे पहली लिस्ट में आ जाएंगे। पहले चरण के लिए 14 जनवरी को ही नोटीफिकेशन जारी हो जाएगा।

स्वतंत्र एजेंसी का सर्वे सबसे अहम

भाजपा नेता के मुताबिक, विधानसभा चुनाव समितियों से प्राप्त नामों के पार्टी ने एक स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से हर विधानसभा वार संभावित उम्मीदवारों का एक सर्वे कराया है। इस सर्वे की राय उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप देने में सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण होगी। एजेंसी के द्वारा विधानसभावार प्रमुख मुद्दों का भी चयन किया गया है जो क्षेत्र की जनता को आकर्षित कर सकते हैं। इन मुद्दों को पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल किया जा सकता है।

सांसदों पर विशेष जिम्मेदारी

नेता के मुताबिक, पार्टी के सभी सांसदों पर उनके क्षेत्रों के विधानसभा उम्मीदवारों को जिताने की अहम जिम्मेदारी होगी। टिकट चयन के लिए बनी विधानसभा समितियों में सभी सांसदों को जगह दी गई है। उनके द्वारा समिति के माध्यम से अनुशंसित नामों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। जिन आठ लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी के सांसद नहीं हैं, वहां जिला संगठन मंत्री और जिलाध्यक्ष की राय महत्त्वपूर्ण होगी।