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राफेल पर सरकार का नया पैंतरा, SC में दाखिल की अर्जी, कहा-हमारी दलील को कोर्ट ने गलत समझा

राफेल सौदे को लेकर मचे घमासान के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने अपने बचाव में सफाई पेश की है. केंद्र की तरफ से शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है, जिसमें राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष न्यायालय के फैसले में उस पैराग्राफ में संशोधन की मांग की है. इसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के बारे में संदर्भ है.

एक विधि अधिकारी ने बताया कि अदालत को अवगत कराने के लिए याचिका दायर की गयी है कि कैग और पीएसी से जुड़े मुहरबंद दस्तावेज के मुद्दे पर अलग-अलग व्याख्या की जा रही है. उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा था कि कैग के साथ कीमत के ब्यौरे को साझा किया गया और कैग की रिपोर्ट पर पीएसी ने गौर किया.

कैग और पीएसी के मुद्दे के बारे में शीर्ष अदालत के फैसले के पैराग्राफ 25 में इसका जिक्र है. फैसले में कहा गया था कि फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीदारी में किसी तरह की अनियमितता नहीं हुई. फैसले में कहा गया कि उसके सामने रखे गए साक्ष्य से पता चलता है कि केंद्र ने राफेल लड़ाकू विमान पर मूल्य के विवरणों का संसद में खुलासा नहीं किया, लेकिन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के सामने इसे उजागर किया गया.

शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कांग्रेस नेता और पीएसी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनके सामने इस तरह की रिपोर्ट नहीं आयी थी.

बता दें कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने राफेल सौदे के मामले में केंद्र की मोदी सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोलने और कोर्ट व संसद को गुमराह करने का आरोप लगाया है. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर अटॉर्नी जनरल को संसद में बुलाए जाने की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि राफेल मामले में सरकार ने सिर्फ संसद ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट को भी गुमराह करने का प्रयास किया है.

खड़गे ने कहा- सरकार ने कोर्ट में सही तथ्य पेश नहीं किए

सर्वोच्च न्यायालय की ओर से राफेल मामले में फैसला सुनाने के एक दिन बाद, लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष मल्लिकाजुर्न खड़गे ने शनिवार को कहा कि वह महान्यायवादी और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को तलब करने का दबाव बनाएंगे और उनसे पूछेंगे कि कब सीएजी की रपट पेश की गई और कब पीएसी ने उसकी जांच की. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने यहां मीडिया से कहा कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सही तथ्य पेश नहीं किए और अदालत में ‘झूठ’ बोला है.

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने वहां दिखाया कि कैग रपट पेश की गई है और पीएसी ने उसकी जांच की है.’ खड़गे ने कहा, ‘सरकार ने अदालत में यह झूठ बोला कि कैग रपट को सदन और पीएसी में पेश किया गया है. उन्होंने अदालत में यह भी कहा कि पीएसी ने इसकी जांच की है. उन्होंने दावा किया कि रपट सार्वजनिक(पब्लिक डोमेन में) है. यह कहां है? क्या आपने इसे देखा है? मैं पीएसी के अन्य सदस्यों के समक्ष इस मामले को ले जाने वाला हूं.’

कोर्ट खारिज कर दी थी जांच संबंधी याचिका

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राफेल सौदे की अदालत की निगरानी में जांच कराने की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दी थी. अदालत ने कहा था कि विमान की कीमत कैग के साथ साझा की गई और कैग की रपट की जांच पीएसी ने की. अब रपट का केवल संपादित भाग ही संसद में पेश किया गया है और यह सार्वजनिक है.’

कोर्ट को गुमराह करने के लिए सरकार मांगे माफी

सरकार पर सर्वोच्च न्यायालय को ‘गुमराह’ करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने सरकार से इसके लिए माफी की मांग की. उन्होंने कहा, ‘रपट को अबतक संसद में पेश नहीं किया गया है. सर्वोच्च न्यायालय में गलत सूचना पेश की गई. सर्वोच्च न्यायालय में कैग रपट पर गलत तथ्य पेश कर अदालत को गुमराह करने के लिए सरकार को माफी मांगनी चाहिए.’

खड़गे ने यह भी कहा कि वह सर्वोच्च न्यायालय का आदर करते हैं, लेकिन यह जांच एजेंसी नहीं है और केवल संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी) राफेल मामले में कथित भ्रष्टाचार की जांच कर सकती है.

क्या बोले संजय सिंह?

संजय सिंह ने कहा कि जब सीएजी की कोई जांच रिपोर्ट आई ही नहीं तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कैसे कहा कि ऐसी कोई जांच रिपोर्ट है. सरकार के अटॉर्नी जनरल ने भी सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सील बंद लिफाफे में जो कुछ भी दिया गया वह उन्होंने नहीं पढ़ा है तो अब उन्होंने करेक्शन का हलफनामा कैसे दिया? उन्हें वह सीलबंद रिपोर्ट कहां से मिली?

आप सांसद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में जिक्र है कि एयरफोर्स प्रमुख ने कीमतों के खुलासे पर आपत्ति की थी. एयरफोर्स चीफ ने यह बयान कब दिया या ऐसा कोई एफिडेविट कब दिया था? नए एफिडेविट में भी सरकार कह रही है कि सीएजी को कीमतों के बारे में जानकारी दे दी गई है लेकिन सीएजी की रिपोर्ट तो जनवरी के बाद आएगी.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हलफनामे के मुताबिक यह माना कि सीएजी और पीएसी कीमतों को लेकर पहले ही जांच कर रही है. शायद इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने राफेल घोटाले में जांच के आदेश नहीं दिए. अगर कोर्ट को यह पता होता कि ऐसी कोई जांच नहीं हुई है तो शायद इस मामले में जांच के आदेश दिए जाते.

सिब्बल बोले- केंद्र ने बोला झूठ

राफेल पर शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने राफेल के मामले में गलत जानकारी दी है. हम चाहते हैं कि पीएसी (लोक लेखा समिति) में अटॉर्नी जनरल को बुलाया जाना चाहिए, जिससे यह साफ हो सके कि एफिडेविट क्यों जमा कराए गए, जिसका वास्तव में कोई जिक्र नहीं है. यह बेहद संवेदनशील मामला है, जिस पर संसद में भी चर्चा होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मामले में हमेशा स्पष्ट रही है कि इस मामले के लिए सुप्रीम कोर्ट सही जगह नहीं है, यहां पर हर तरह की फाइल का खुलासा नहीं किया जा सकता. यह सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में भी नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हर फैसले में प्रेस रिपोर्ट और सरकार के हलफनामे का हवाला दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट के न्यायाधिकार के कारण वो फैसला नहीं कर सकते.