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अब मध्यप्रदेश भी छत्तीसगढ़ सरकार की कृषि विकास योजना की राह पर

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश दोनों जगह कांग्रेस की सरकार आने के बाद से योजनाओं को लागू करने की होड़ मची है। यह होड़ पहले भाजपा की सरकार में भी दिखता था। पहले एमपी की भाजपा सरकार ने शिक्षाकर्मियों के संविलियन की घोषणा की। इसके बाद छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने भी एलान किया।

हालांकि छत्तीसगढ़ में संविलियन चुनाव के पहले हो गया जबकि मध्यप्रदेश में यह कानूनी पेचीदगियों में उलझा रह गया। उस दौरान एमपी सरकार ने पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देने और अन्य रियायतों की बात भी कही थी। इसके बाद छत्तीसगढ़ में पुलिस परिवारों का आंदोलन शुरू हो गया।

पुलिस की मांगों पर अभी भी दोनों ही राज्यों में विचार ही चल रहा है। अब जबकि दोनों राज्यों में सरकार बदल चुकी है, भाजपा की जगह कांग्रेस का शासन आ गया है, तब भी योजनाओं को लेकर पुरानी परंपरा चल ही रही है। दरअसल मध्यप्रदेश से कटकर जब छत्तीसगढ़ राज्य बना तो वहां की सारी नियमावली और योजनाएं यहां अपने आप लागू हो गईं। अलग राज्य बनने के बाद भी समस्याएं और समाधान समान बने रहे।

यहां तक कि यहां कोई अधिनियम पारित होने पर वहां और वहां कोई नियम बनने पर यहां तुरंत तुलना होने लगती है। ताजा मामला गोशाला को लेकर है। छत्तीसढ़ में कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता की योजना है-नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी। यानी नाले, गोठान, घूरे और बागवानी का विकास किया जाना है।

मध्यप्रदेश सरकार ने भी गरूवा या गौशाला योजना पर काम शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ में योजना है कि हर गांव में तीन एकड़ भूमि का चयन कर वहां गोशाला बनाई जाएगी। गायों के गोबर से कम्पोस्ट खाद और गोबर गैस का उत्पादन भी होगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद मिलेगी। छत्तीसगढ़ में इस योजना पर काम हो पाता उससे पहले ही मध्यप्रदेश सरकार ने भी गौशाला योजना की घोषणा कर दी है।

यह है मध्यप्रदेश सरकार की योजना 

एमपी सरकार अगले चार महीने में एक हजार गोशालाएं खोलेगी। इन गोशालाओं में करीब एक लाख निराश्रित गायों को रखा जाएगा। ग्रामीण विकास विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। गोशलाओं के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया है। जगह का चयन करने के बाद वहां ट्यूबवेल, चारागाह विकास, बायोगैस प्लांट आदि का इंतजाम किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ में यह हो रहा है 

छत्तीसगढ़ सरकार की गरूवा योजना के लिए हर गांव में तीन एकड़ भूमि तलाशी जा रही है। यहां हर गांव से दस युवाओं को गोबर गैस प्लांट और कम्पोस्ट खाद निर्माण का प्रशिक्षण देने की योजना भी है। छत्तीसगढ़ में गायों की संख्या तय नहीं की गई है। गांव के सभी पशुओं को इन गोशालाओं में रखा जाएगा। चारागाह और पानी का इंतजाम किया जाएगा।