शराबबंदी की मांग पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दो टूक कहा कि हम शराबबंदी करेंगे, लेकिन उस तरह नहीं जैसे नोटबंदी की गई। हम लोगों को मौत के मुंह में धकेल नहीं सकते। विधानसभा में मंगलवार को सीएम ने कहा कि शराब सामाजिक बुराई है। जब तक जनजागरण नहीं करेंगे तब तक शराबबंदी सफल नहीं होगी।
विधानसभा में मंगलवार को यह मामला प्रश्नकाल के दौरान उठा। इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने सरकार को घोषणा पत्र में किए शारबबंदी के वादे की याद दिलाई। इस पर बघेल ने कहा कि हम शराबबंदी जरूर करेंगे। मेरा अनुभव है कि सरकार एक झटके में दुकानें बंद कर सकती है, लेकिन यह सामाजिक बुराई है। जब तक समाज को साथ नहीं लेंगे यह सफल नहीं हो सकता। मैं शराबबंदी पर दूसरे दलों के सुझावों को लेकर भी बैठक लूंगा, इस सत्र में ही आप सभी को इस बैठक में आमंत्रित करु्गा।
उन्होंने कहा कि हमें जनादेश 5 साल के लिए मिला है, 50 दिन के लिए नहीं। सीएम ने विपक्ष से सवाल किया आपने 2100 रुपये समर्थन मूल्य की बात कही थी लेकिन क्या दिया गया था? जर्सी गाय बॉटने का वादा किया गया था, लेकिन क्या बांटी गई। पूरक प्रश्न करते हुए अजीत जोगी ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी की बात घोषणा पत्र में कही गई है। इसका मतलब है कि जरूर अध्ययन हुआ होगा, विचार हुआ होगा, तब यह कहा गया होगा कि प्रदेश के मैदानी इलाकों में पूर्ण शराबबंदी की जाएगी। सरकार बनने के बाद फिर अध्ययन करने की क्या जरूरत है। छत्तीसगढ़ के लिए पूर्ण शराबबंदी महती आवश्यकता है। जोगी ने कहा कि यदि राज्य आज बर्बाद हो रहा है तो इसकी सबसे बड़ी वजह शराब है। भाजपा के 15 साल के कार्यकाल में शराब की खपत 15 गुना बढ़ी है।
रिपोर्ट पर राजनीति ठीक नहीं
आबकारी मंत्री कवासी लखमा मंगलवार को सदन में पहली बार सवाल का जवाब देने खड़े हुए। लखमा केवल साक्षर हैं और वे लिखा हुआ भी नहीं पढ़ सकते। भूपेश कैबिनेट में वे आबकारी और उद्योग मंत्री हैं। मंगलवार को सदन में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा सदस्य अजय चंद्राकर शराबंदी की अध्ययन के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट को लेकर सवाल किया।
जवाब में लखमा ने बताया कि कमेटी ने पांच राज्यों का दौरा किया है और उसकी रिपोर्ट सरकार को मिल गई है। चंद्राकर ने जानना चाहा कि कमेटी में जो लोग थे उनकी योग्यता क्या थी। इस पर लखमा ने कहा कि यह प्रश्न इससे जुड़ा नहीं है, लेकिन आप पूछ रहे हैं तो अलग से जानकारी उपलब्ध करा देंगे।
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